कुशीनगर: एक प्रसिद्ध कहावत है — “सौ काशी न एक बांसी”, अर्थात काशी की पवित्र गंगा नदी में सौ बार स्नान करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है, बांसी नदी में केवल एक बार स्नान करने से वही पुण्य प्राप्त होता है. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से जुड़ी कुशीनगर की बांसी नदी के जीर्णोद्धार का कार्य आखिरकार शुरू कर दिया गया है.
114 किलोमीटर लंबी नदी को 12 सेक्टरों में बांटा गया
बांसी नदी कुल 114 किलोमीटर लंबी है, और इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन ने इसे 12 सेक्टरों में विभाजित किया है.
सफाई और पुनरुद्धार कार्य की शुरुआत कुशीनगर के सिंगापट्टी गांव से की गई, जहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के सहयोग से बांसी नदी की सफाई को लेकर विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ.
भव्य मेले का भी है ऐतिहासिक महत्व
हर वर्ष बांसी नदी के तट पर भव्य धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं.
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह नदी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि कुशीनगर की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है.
डीएम महेंद्र सिंह तंवर ने बताया—बांसी नदी बनेगी कुशीनगर की नई पहचान
कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने कहा— “ऐतिहासिक बांसी नदी के जीर्णोद्धार कार्य को पूरी गति से आगे बढ़ाया जा रहा है. बहुत जल्द यह परियोजना पूरी होगी, और बांसी नदी कुशीनगर की एक नई और अलग पहचान बनेगी.”
रिपोर्ट- कुशीनगर/रितेश पाण्डेय
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