सीतापुर: महोली क्षेत्र में पिछले दो महीनों से आदमखोर बाघ के आतंक से दहशत में जी रहे ग्रामीणों को आखिरकार राहत मिल गई है. वन विभाग की टीम ने नरनी गांव से इस बाघ को पकड़ने में सफलता हासिल की है.
लगातार 25 दिनों तक निगरानी और सर्च ऑपरेशन चलाने के बाद वन विभाग ने बाघ को पिंजरे में कैद किया.
बाघ की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग का आभार जताया और राहत की सांस ली.
किसान की मौत से बढ़ी थी दहशत
करीब दो महीने पहले किसान सौरभ दीक्षित की मौत के बाद से इस बाघ ने पूरे क्षेत्र में दहशत मचा रखी थी.
बाघ के हमले में एक किसान की जान जाने के बाद ग्रामीणों ने खेतों में काम करना बंद कर दिया था. परिवार अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डरने लगे थे. ग्रामीणों के अनुसार, खेतों में जाने के लिए अब 8 से 10 लोगों का समूह बनाना पड़ता था.
बाघ के हमलों से खेतों की फसलें भी लगातार खराब हो रही थीं.
बाघ के शिकार में वन विभाग की कोशिशें
वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए. उन्होंने छह पड़वों (बछड़ों) को चारे के रूप में बांधा था, जिन्हें बाघ ने शिकार बना लिया. इस दौरान महोली विधायक शशांक त्रिवेदी खुद बंदूक लेकर वन विभाग की टीम के साथ कांबिंग अभियान में शामिल हुए. लगातार सर्च और लोकेशन ट्रेसिंग के बाद बाघ को पकड़ लिया गया.
पहले भी पकड़ी जा चुकी है एक बाघिन
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 20 सितंबर की रात इसी इलाके से एक बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ा गया था,
जिसे बाद में गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा गया. अब पकड़ा गया बाघ अलग है और यह कई दिनों से नरनी गांव के आसपास सक्रिय था. ग्रामीणों की शिकायतों और देखे जाने की पुष्टि के बाद टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया.
इलाके में शांति, निगरानी जारी रहेगी
वन विभाग की टीम ने बताया कि पकड़े गए बाघ को इलासिया पार्क वन उद्यान में भेजा जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल इलाके में किसी और बाघ की मौजूदगी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एहतियात के तौर पर गश्त और निगरानी जारी रखी जाएगी.
रिपोर्टर-आशीष निषाद
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