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Bihar : SIR विवाद – सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगी 3.66 लाख वोटर्स की जानकारी!

पटना: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वोटर वेरिफिकेशन (SIR) के खिलाफ सुनवाई हुई. वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को साफ़ करने के बजाय समस्या बढ़ा दी है और इसमें पारदर्शिता का अभाव है. उन्होंने कोर्ट में 65 व्यक्तियों की सूची पेश की और हलफनामा दाखिल करने की पेशकश की.

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वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि जिन 3.66 लाख वोटर्स के नाम सूची से हटाए गए, उनमें किसी को नोटिस नहीं दिया गया. इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से 3.66 लाख वोटर्स की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. आयोग ने कहा कि फाइनल लिस्ट में अधिकांश नए मतदाता जोड़े गए हैं, साथ ही कुछ पुराने नाम भी शामिल हैं. कोर्ट ने आदेश दिया कि यह जानकारी 9 अक्टूबर तक अदालत में पेश की जाए.

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सुनवाई में भूषण ने कहा कि उन्होंने SIR के लिए चुनाव आयोग के 2003 और 2016 के दिशानिर्देशों का अध्ययन किया है. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें 10 मिनट दिए जाएं ताकि वे महिलाओं, मुसलमानों और अन्य समूहों के अनुपातहीन बहिष्कार के बारे में जानकारी दे सकें.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार SIR पर टूकड़ों में राय नहीं दी जा सकती. यदि चुनाव आयोग द्वारा SIR प्रक्रिया में कोई अवैधता पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है.

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सुनवाई के दौरान चर्चा हुई कि 20–21 लाख नए नाम जोड़े गए, लेकिन चुनाव आयोग ने इस डेटा को साझा नहीं किया. EC के वकीलों ने कहा कि यह जानकारी बार-बार मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराई गई.

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इसके अलावा कोर्ट ने आधार कार्ड को मतदाता पहचान का 12वां दस्तावेज़ मानने का आदेश पहले ही दिया है. आयोग ने BLO अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जो आवश्यक दस्तावेज जमा करने वाले मतदाताओं की मदद नहीं कर रहे, उन्हें नोटिस जारी किया जाए.

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अगली सुनवाई अब 9 अक्टूबर को होगी, जिसमें आयोग को कोर्ट में उपलब्ध सभी जानकारी पेश करनी होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह केस पूरे भारत में SIR प्रक्रिया की वैधता और पारदर्शिता के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.