पटना: चुनाव आयोग ने आखिरकार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा कर दी है. सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर मतदान दो चरणों में कराया जाएगा. पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा. मतगणना और परिणामों की घोषणा 14 नवंबर को की जाएगी.
इस बार चुनाव आयोग ने खास तैयारी की है और मतदान प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए कई तकनीकी बदलाव किए गए हैं. चुनाव आयोग ने इस बार का नारा दिया है – “चुनाव को छठ की तरह मनाइए”, यानी हर मतदाता को इसमें सक्रिय भागीदारी करनी है.
चुनावी प्रक्रिया और समय-सीमा
6 अक्टूबर को तारीखों का ऐलान हुआ. 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान और 11 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा. 14 नवंबर को मतगणना और नतीजे घोषित किए जाएंगे. आयोग के अनुसार इस बार पूरी चुनावी प्रक्रिया केवल 40 दिनों की होगी. यह पिछले 15 वर्षों में सबसे छोटा चुनावी कैलेंडर है. 2010, 2015 और 2020 में चुनावी प्रक्रिया 50 से 60 दिन तक चलती रही थी.
मतदाता और बूथ की स्थिति
बिहार की कुल आबादी लगभग 13 करोड़ है, जिनमें से 7.42 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे. इनमें से 14 लाख युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे. वहीं, 100 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं की संख्या भी करीब 14 हजार है, जो लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेंगे. इस बार कुल 90,712 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. इनमें से 76,801 ग्रामीण और 13,911 शहरी क्षेत्र में होंगे. सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की सुविधा रहेगी. इसके साथ ही 1,350 मॉडल बूथ बनाए जाएंगे, जहां आधुनिक और आकर्षक सुविधाएं दी जाएंगी.
चुनाव आयोग की नई पहलें
इस बार चुनाव आयोग ने कई नई पहल की हैं. ECI Net ऐप लॉन्च किया जाएगा, जिसके जरिए चुनावी प्रक्रिया की रियल-टाइम मॉनिटरिंग होगी. मतदाता 1950 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके सीधे अपने बूथ लेवल अधिकारी (BLO) से बात कर सकेंगे. जिन मतदाताओं की तबीयत खराब है या जो बूथ तक नहीं जा सकते, वे Form 12-D भरकर घर से वोट डाल पाएंगे. पहली बार मतदाता मोबाइल लेकर बूथ तक जा सकेंगे. आयोग का लक्ष्य है कि इस बार बिहार में मतदान का प्रतिशत बढ़ाकर 60 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए. 2020 में यह औसत लगभग 57 प्रतिशत रहा था.
राजनीतिक समीकरण : NDA बनाम महागठबंधन
बिहार की राजनीति में इस बार का चुनाव बेहद खास माना जा रहा है. एनडीए (भाजपा + जदयू + लोजपा रामविलास) ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. जदयू ने नारा दिया है – “2025 से 2030, फिर से नीतीश”. भाजपा और जदयू नेताओं का कहना है कि बिहार में बीते 20 सालों में जो विकास हुआ है, उसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है.
दूसरी ओर महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदल शामिल हैं. इस खेमे ने तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार मान लिया है. हालांकि कांग्रेस ने औपचारिक घोषणा से परहेज किया है, लेकिन अंदरखाने तेजस्वी को ही चेहरा बनाया गया है. महागठबंधन का नारा है – “परिवर्तन का वक्त, बिहार का हक”. उनका दावा है कि नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ जाकर जनता के जनादेश का अपमान किया है.
इस बार 200 से ज्यादा दल चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. इनमें प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और तेजप्रताप यादव की नई पार्टी भी शामिल है. छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी पटना, गया और पूर्णिया जैसे शहरी इलाकों में असर डाल सकते हैं.
पटना जिला : खास फोकस
राजनीतिक दृष्टि से पटना जिला सबसे अहम है. यहां कुल 14 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें दीघा, बांकीपुर, फतुहा, दानापुर और पटना साहिब जैसी हाई-प्रोफाइल सीटें शामिल हैं. सबसे अधिक मतदाता दीघा विधानसभा में हैं – लगभग 4.56 लाख. सबसे कम मतदाता पालीगंज विधानसभा में हैं – करीब 2.83 लाख. 2020 के चुनाव में पटना जिले का औसत मतदान 57 प्रतिशत रहा था. प्रशासन ने इस बार “मिशन 60 प्रतिशत” का लक्ष्य तय किया है.
2020 का परिणाम और इस बार की चुनौती
साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि राजद दूसरे नंबर पर रही. जदयू की सीटें घटकर सिर्फ 43 रह गई थीं. अब 2025 में हालात बदल चुके हैं. भाजपा और जदयू फिर साथ हैं. राजद अपने युवा नेतृत्व तेजस्वी यादव के चेहरे पर चुनावी मैदान में है. जनता का मूड जातीय समीकरण, बेरोजगारी, शिक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर बनेगा.
अन्य राज्यों में उपचुनाव
11 नवंबर को बिहार के दूसरे चरण के साथ ही देश के 7 राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे. इनमें जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम और ओडिशा की सीटें शामिल हैं. इससे यह चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है क्योंकि इसके नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेंगे.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शंखनाद हो चुका है. अब महज एक महीने बाद बिहार की जनता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी. सत्ता की लड़ाई में एक तरफ है एनडीए नीतीश कुमार और भाजपा के साथ, तो दूसरी तरफ है महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में. इस बार का चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने का भी होगा. सभी राजनीतिक दल पूरे दमखम से मैदान में उतर चुके हैं. अब देखना यह होगा कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में वापसी कर पाते हैं, या फिर तेजस्वी यादव जनता का दिल जीतकर सत्ता की चाबी अपने हाथों में ले लेंगे.