नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है, देवी दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत सौम्य और करुणामयी माना जाता है. मान्यता है कि अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा और भोग से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
महागौरी माता का स्वरूप और महत्व
महागौरी माता का रंग दूध जैसा श्वेत है और इन्हें शांति व पवित्रता की देवी माना जाता है, भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी महागौरी को अष्टमी पर विशेष भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से अष्टमी पर पूजा करता है, उसे वैवाहिक सुख, समृद्धि और संतान सुख प्राप्त होता है.
महागौरी माता का प्रिय भोग
अष्टमी के दिन महागौरी माता को सफेद रंग की चीजें चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है. खासतौर पर सफेद पूड़ी, हलवा, नारियल, मिश्री, दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है, कन्या पूजन के समय भी इन्हीं प्रसादों को कन्याओं को खिलाने की परंपरा है.
भोग लगाने की विधि
सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर को सफेद फूलों और अक्षत से सजाएं, नारियल, मिश्री, खीर या दूध से बनी मिठाई माता को अर्पित करें. धूप, दीप और नैवेद्य के साथ माता की आरती करें, कन्या पूजन करके उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
पूजा में ध्यान रखने योग्य नियम
पूजा के समय मन को पूरी तरह शांत और श्रद्धामय रखें, भोग में प्याज, लहसुन या तामसिक चीजें शामिल न करें, भोग लगाने के बाद इसे परिवार और भक्तों में प्रसाद स्वरूप बांटें, पूजा के दौरान सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है.
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