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मां कालरात्रि की आरती और पूजा विधि जानकर दूर करें हर कष्ट

मां कालरात्रि

नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है, मां का यह स्वरूप शक्ति का सबसे उग्र और रौद्र रूप माना जाता है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्त के सभी भय और बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है, इन्हें शुभ करने वाली देवी भी कहा जाता है.

मां कालरात्रि का महत्व
मां कालरात्रि का रूप भयंकर होते हुए भी भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी है, कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से सप्तमी के दिन उनकी पूजा करता है. उसे मृत्यु और दुर्घटनाओं का भय नहीं सताता मां की आराधना से शनि और राहु-केतु के दोष भी दूर होते हैं.

पूजा विधि
सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें, मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें, सिंदूर, लाल फूल, गुड़ और धूप-दीप अर्पित करें, मां को सात्विक भोजन, विशेषकर गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है, श्रद्धा भाव से मंत्र और आरती करें.

भोग
मां कालरात्रि को गुड़ और उससे बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सौभाग्य बढ़ता है.

शुभ रंग
सप्तमी के दिन नीला रंग शुभ माना जाता है, इस रंग के वस्त्र धारण करने से मां कालरात्रि की विशेष कृपा मिलती है.

मंत्र
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” इस मंत्र का 108 बार जप करना अत्यंत फलदायी माना गया है.

मां कालरात्रि की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निसदिन सेवत, हरि ब्रह्मा शिवरी.. इस पूरी आरती को गाकर या पढ़कर मां को प्रसन्न किया जाता है.

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