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Politics : बिहार में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही सियासी संग्राम! तेजस्वी बोले- अति पिछड़ा होगा पावर बैंक, गिरिराज ने कांग्रेस पर गृहयुद्ध भड़काने का आरोप लगाया!

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा कुछ ही दिनों में होने वाली है, लेकिन सूबे का राजनीतिक पारा अभी से चढ़ चुका है. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी दलों ने चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. नेताओं के दौरे, आरोप-प्रत्यारोप और रणनीतिक बैठकों से बिहार की सियासत गरमा गई है.

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शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर हैं. उनके कार्यक्रम को NDA के लिए चुनावी शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. दूसरी ओर विपक्षी खेमे में कांग्रेस और राजद ने भी अपनी चुनावी रणनीति तेज कर दी है. मोतिहारी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सभा के दौरान एक बड़ा विवाद टलते-टलते रह गया. सभा में मौजूद सांसद पप्पू यादव की कुछ टिप्पणियों से माहौल बिगड़ने की आशंका बनी, लेकिन प्रियंका गांधी ने समय रहते मंच संभाल लिया और कार्यक्रम को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया. इस घटना को कांग्रेस के भीतर की आपसी खींचतान और तालमेल का संकेत माना जा रहा है.

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इधर, पटना में राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ‘कर्पूरी अति पिछड़ा अधिकार संवाद’ कार्यक्रम में नीतीश सरकार पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब बिहार चलाने के योग्य नहीं रह गए हैं और उनकी उम्र व सोच विकास की तेज रफ्तार के लिए बाधक बन चुकी है. तेजस्वी ने NDA पर अति पिछड़ा वर्ग को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “जब हमारी सरकार बनेगी तब अति पिछड़ा समाज केवल वोट बैंक नहीं रहेगा, बल्कि पावर बैंक बनेगा.” तेजस्वी का यह बयान अति पिछड़ा वर्ग को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

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उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करना चाहती है. गिरिराज ने कहा कि राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियां समाज को बांटने की राजनीति कर रही हैं. उन्होंने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ये नेता देश और बिहार के विकास को दरकिनार कर केवल सत्ता के लिए लोगों को आपस में लड़ाने में जुटे हैं. गिरिराज ने ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद को भी इसी राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह मुद्दा समाज को भड़काने के लिए उछाला जा रहा है.

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बिहार में इस समय नेताओं के दौरे और सभाएं लगातार बढ़ रही हैं. अमित शाह का दौरा जहां NDA के लिए शक्ति प्रदर्शन है, वहीं प्रियंका गांधी की सभा कांग्रेस की सक्रियता का संकेत देती है. तेजस्वी यादव के बयान और गिरिराज सिंह के आरोप इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि चुनावी संग्राम में जातीय समीकरणों, अति पिछड़ा वर्ग और धार्मिक ध्रुवीकरण का बड़ा रोल रहने वाला है.

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चुनावी तारीखों की औपचारिक घोषणा भले ही अभी बाकी हो, लेकिन नेताओं की बयानबाजी और राजनीतिक हलचल ने साफ कर दिया है कि आने वाले हफ्तों में बिहार की राजनीति और भी तेज़ होने वाली है. जनता के लिए मुद्दों की बौछार होगी, और हर दल अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश करेगा.