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क्यों कहा जाता है कि कलावा बिना वजह उतारना है अशुभ? जानें सही कारण

कलावा बिना वजह उतारना है अशुभ

भारत में धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं का गहरा जुड़ाव है. इन्हीं परंपराओं में एक है कलावा (मौली या राखी जैसा लाल धागा) को कलाई पर बांधना. पूजा-पाठ या किसी धार्मिक अनुष्ठान में पंडित द्वारा बांधा गया कलावा शुभ माना जाता है. लेकिन मान्यता यह भी है कि इस धागे को बिना वजह या लापरवाही से उतारना अशुभ फल देता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का सही कारण और धार्मिक महत्व.

कलावा का धार्मिक महत्व
कलावा तीन रंगों का होता है – लाल, पीला और हरा/काला, जो क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं. इसे बांधने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, नजर दोष और अशुभ प्रभावों से रक्षा मिलती है. यह कलावा एक तरह का रक्षा कवच होता है, जिसे देवताओं का आशीर्वाद माना गया है.

क्यों नहीं उतारना चाहिए कलावा?
1. आस्था का प्रतीक – इसे बांधना भगवान से जुड़ाव और आशीर्वाद पाने का संकेत है. इसे बेवजह उतारना धार्मिक भावनाओं का अनादर माना जाता है.
2. ऊर्जा का प्रवाह – शास्त्रों के अनुसार कलावा कलाई की नसों पर बंधकर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है.
3. सुरक्षा कवच – इसे उतारने से व्यक्ति नजर दोष या बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ सकता है.
4. अधूरी मन्नत का संकेत – यदि किसी मन्नत या पूजा के दौरान बांधा गया हो तो बिना कारण उतारना अधूरी इच्छा का द्योतक माना जाता है.

कब और कैसे उतारें कलावा?
यदि कलावा पुराना होकर टूट जाए या खुद से ढीला होकर गिर जाए, तो इसे उतारना ठीक है, इसे उतारते समय सम्मानपूर्वक नदी, तालाब या बहते पानी में प्रवाहित करें. यदि ऐसा संभव न हो तो इसे किसी पौधे की जड़ में दबा दें. कभी भी कलावा को कचरे में या जमीन पर फेंकना अशुभ माना जाता है.

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