श्राद्ध और तर्पण हिंदू धर्म की पवित्र परंपराएं हैं, जिनमें हम अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल, फल और फूल चढ़ाते हैं. लेकिन कई लोग जानबूझकर या अनजाने में ऐसे फूल चढ़ा देते हैं जिन्हें पूर्वज स्वीकार नहीं करते. इससे न केवल परंपरा पूरी नहीं होती, बल्कि आपकी श्रद्धा भी अधूरी रह सकती है.
क्यों जरूरी है सही फूल चुनना?
पितरों को चढ़ाने वाले फूलों का चुनाव शास्त्रों में बड़े ध्यान से बताया गया है. गलत फूल चढ़ाने से यह संकेत जाता है कि श्रद्धा पूरी तरह सही नहीं है. कुछ फूलों में नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है या वे पवित्र कर्म के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते.
भूलकर भी न चढ़ाएं ये फूल
1. गुलाब के काले या मुरझाए फूल- ताजा गुलाब तो चढ़ाया जा सकता है, लेकिन काले या मुरझाए फूल पूर्वज स्वीकार नहीं करते.
2. चमेली (जैस्मिन) की सड़ी या बदबूदार कली ये फूल पवित्र श्राद्ध में अपवित्र माने जाते हैं.
3. गेंदे या मृत फूल- सड़े या मुरझाए फूल कभी भी तर्पण या पिंडदान में नहीं चढ़ाएं.
4. कच्चे या अपवित्र फूल- शुद्ध और ताजगी वाले फूल ही स्वीकार किए जाते हैं.
सही फूलों का चयन
संतरा, गेंदा, गुलाब, चमेली (ताजा) और कमल – ये फूल श्राद्ध में सबसे अधिक पसंद किए जाते हैं. ताजगी और साफ़-सफाई – फूल हमेशा साफ और ताजगी से भरे होने चाहिए.
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