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लाल सोना की तस्करी के लिए नारायणी नदी बना मुफीद रास्ता

नेपाल से भारत में महाराजगंज जिले के निचलौल वन क्षेत्र से होकर बहने वाली नारायणी नदी कुशीनगर जिले को निकलती है. जिसका उपयोग लकड़ी तस्कर कीमती लकड़ियों की तस्करी के लिए कर रहे है. नारायणी नदी का रास्ता सबसे मुफीद रास्ता बन चुका है. बीते एक माह में लाल सोना के रूप में पहचान रखने वाले खैर लकड़ी की दो जगह बरामदगी से वन विभाग सतर्क हो गया है. हालांकि यह बरामदगी हो रही कटान के सापेक्ष कुछ भी नहीं है.

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तीन दिन पहले निचलौल रेंज से पकड़ी गई थी खैर लकड़ी
निचलौल रेंज क्षेत्र में खैर की अवैध कटान और तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन विभाग लगातार अभियान चला रहा था. इसी बीच 21 अगस्त की लगभग छह बजे मुखबिर की सूचना पर वन विभाग की टीम ने ग्राम सभा भेडिहारी के समीप स्थित बांस कोठी पर छापेमारी कर 47 बोटा जलौनी योग्य खैर की लकड़ी बरामद की. लकड़ी देखने से लग रहा था कि उपयोग वाली लकड़ियों को तस्कर उठा ले गए थे. जबकि उसके टहनी और जलौनी को छोड़कर चले गए थे.

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नारायणी नदी के रास्ते खड्डा तक पहुंची थी खैर लकड़ी –
स्थानीय सूत्रों के अनुसार निचलौल रेंज के जंगलों से कीमती खैर की लकड़ी को अवैध रूप से काटा जाता है और फिर नारायणी नदी के रास्ते कुशीनगर जिले में पहुंचाया जाता है. इसके बाद इसे तस्करी कर बिहार भेज दिया जाता है. अक्सर खैर कटान की सूचना मिलने के बावजूद बड़ी बरामदगी नहीं हो पाती. बीते 21 अगस्त को जंगल से काटकर नारायणी नदी के रास्ते तस्कर 45 बोटा लकड़ी लेकर कुशीनगर जिले के खड्डा वन क्षेत्र के हनुमानगंज पहुंचे थे. जहां वन विभाग सूचना पाकर वन विभाग की टीम ने रेंजर खड्डा अमृता चंद ने छापेमारी कर बरामद कर लिया था.

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विभाग हुआ सतर्क-
वन क्षेत्राधिकारी खड्डा अमृता चंद ने बताया कि लकड़ी तस्करी के खिलाफ लगातार जांच अभियान चलाया जा रहा है. 4 सितंबर को छापेमारी में 47 बोटे खैर की लकड़ी बरामद हुई है. लकड़ी को विभागीय अभिरक्षा में सुरक्षित रख लिया गया है और तस्करों की तलाश जारी है. दोषियों की पहचान होते ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वन विभाग ने खैर कटान और तस्करी रोकने के लिए जंगलों में गश्त और चौकसी बढ़ा दी है.

रिपोर्ट- आनन्द सिंह, तहसील खड्डा