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मेरठ नगर निगम दाखिल-खारिज के बहाने वसूल रहा “जजिया”

मेरठ. नगर निगम मेरठ पर मनमानी और तानाशाही रवैये के आरोप लग रहे हैं. दाखिल-खारिज (नामान्तरण) फीस को निगम अधिकारियों ने चुपचाप 500 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये तक कर दिया है. हैरानी की बात यह है कि इस फैसले को किसी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव के तौर पर पास ही नहीं कराया गया, फिर भी जनता से मोटी रकम वसूली जा रही है.

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सूत्रों के अनुसार, नगर निगम अब तक शहरियों से करीब 25 करोड़ रुपये की वसूली कर चुका है. क्लास-3 सिटी मेरठ में फीस 50 हजार रुपये तय कर दी गई है, जबकि राजधानी लखनऊ जैसे क्लास-2 शहर में यही फीस महज 10 हजार रुपये है. यानी मेरठ में नागरिकों को पांच गुना अधिक शुल्क चुकाना पड़ रहा है.

नगर निगम की इस मनमानी पर जिले के किसी भी जनप्रतिनिधि ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पहल ने इसे “अवैध वसूली” बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने मांग की है कि वसूले गए करोड़ों रुपये नागरिकों को वापस लौटाए जाएं.

कानूनी जानकारों का कहना है कि बिना बोर्ड अप्रूवल के किसी भी प्रकार की नई फीस लागू करना नियमों के खिलाफ है. ऐसे में नगर निगम की यह वसूली न सिर्फ अवैध है बल्कि भ्रष्टाचार का भी संकेत देती है.

शहरवासी अब उम्मीद कर रहे हैं कि हाईकोर्ट इस मुद्दे पर सख्ती से संज्ञान ले और मनमानी फीस व्यवस्था को खत्म किया जाए.

रिपोर्ट-रोहन त्यागी, वेस्ट यूपी हेड