आरा: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रेलवे मंत्रालय ने बिहार के विभिन्न स्टेशनों पर 36 नई ट्रेनों के ठहराव की स्वीकृति दी है. लेकिन भोजपुर सहित पूरे शाहाबाद क्षेत्र को इस सूची से बाहर रख दिया गया. सबसे बड़ा विवाद 12309/10 पटना–नई दिल्ली तेजस राजधानी एक्सप्रेस को लेकर है. यात्रियों की वर्षों पुरानी मांग के बावजूद रेलवे ने आरा जंक्शन की अनदेखी करते हुए इसका ठहराव दानापुर में स्वीकृत कर दिया है.
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यात्रियों का कहना है कि दानापुर में पहले से ही 12423/24 डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस का ठहराव मौजूद है. अब मात्र 10 किलोमीटर के भीतर दो-दो ठहराव दे दिए गए, जबकि आरा जंक्शन—जो पूर्व मध्य रेल के टॉप 10 राजस्व देने वाले स्टेशनों में शामिल है—को बार-बार नजरअंदाज किया जा रहा है. स्थानीय यात्री रौशन कुमार और उत्कर्ष रंजन ने कहा कि रेलवे हर बार नियमों का हवाला देकर आरा की मांग खारिज करता है, जबकि उन्हीं नियमों को तोड़कर दानापुर में लगातार नए ठहराव मिलते जा रहे हैं.
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जानकार बताते हैं कि रेलवे बोर्ड ने राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के ठहराव के लिए जो मानदंड तय किए हैं—जैसे स्टेशन की कमाई, जनसंख्या, जिला मुख्यालय का दर्जा और ऐतिहासिक महत्व—आरा जंक्शन उन सभी मापदंडों पर खरा उतरता है. औसतन एक ठहराव से रेलवे को 16 से 22 हजार रुपये की आय होती है, जो आरा जंक्शन में संभव है.
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भोजपुर जिले की 7 विधानसभा सीटों के अलावा सासाराम, छपरा, बक्सर और बलिया जैसे जिलों के हजारों यात्री रोज आरा जंक्शन से यात्रा करते हैं. बावजूद इसके, आरा की मांग पूरी न होने से यात्रियों में गहरी नाराजगी है. यात्रियों का कहना है कि वर्तमान सांसद सुदामा प्रसाद और विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह ने अब तक रेल मंत्री से इस मुद्दे पर ठोस पहल नहीं की. नतीजा यह है कि शाहाबाद क्षेत्र एक बार फिर रेलवे की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है.
