नई दिल्ली. आज की युवा पीढ़ी में फिटनेस और बॉडी शेप को लेकर क्रेज़ बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया पर फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स और जिम ट्रेंड्स ने युवाओं को हेल्दी रहने के लिए प्रेरित तो किया है, लेकिन इसके साथ ही गलत डाइटिंग और ओवर-वर्कआउट की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ रही है.
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जिम कल्चर का पॉजिटिव असर
न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रचना शर्मा बताती हैं, “नियमित एक्सरसाइज शरीर को फिट रखने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. जिम जाने से युवाओं में आत्मविश्वास और फोकस बढ़ता है. लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब लोग बिना सही ट्रेनिंग या डाइट गाइडेंस के केवल बॉडी बनाने की होड़ में पड़ जाते हैं.”
गलत डाइटिंग का खतरा
वरिष्ठ एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अरविंद मेहता का कहना है, “बहुत-से युवा तेजी से वजन घटाने या मसल्स बनाने के लिए क्रैश डाइट, कीटो या जीरो-कार्ब डाइट अपना लेते हैं. ये डाइट्स लंबे समय में हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड प्रॉब्लम और ब्लड शुगर गड़बड़ी जैसी गंभीर बीमारियाँ पैदा कर सकती हैं.”
केस स्टडी
गुरुग्राम के 25 वर्षीय आईटी इंजीनियर रोहित (बदला हुआ नाम) ने छह महीने तक केवल हाई-प्रोटीन और लो-कार्ब डाइट ली. शुरुआत में वजन घटा, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें कमजोरी, एसिडिटी और ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगी. डॉक्टरों ने जांच के बाद पाया कि उनकी हार्मोनल हेल्थ प्रभावित हो चुकी है.
एक्सपर्ट्स की सलाह
- संतुलन जरूरी – डाइट और वर्कआउट दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं.
- प्रोफेशनल गाइडेंस लें – न्यूट्रिशनिस्ट से डाइट चार्ट और ट्रेनर से सही वर्कआउट प्लान जरूर बनवाएँ.
- क्रैश डाइट से बचें – वजन घटाने की जल्दबाजी हार्मोन और मेटाबॉलिज़्म को नुकसान पहुंचाती है.
- हेल्दी गोल अपनाएँ – केवल दिखने के लिए नहीं, बल्कि हेल्थ को प्राथमिकता देते हुए फिटनेस को जीवनशैली बनाएं.
जिम और फिटनेस कल्चर स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर यह केवल दिखावे और सोशल मीडिया ट्रेंड्स तक सीमित रह जाए तो शरीर को फायदा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. सही डाइट और एक्सरसाइज के संतुलन से ही असली फिटनेस हासिल होती है.