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Counselor Advice: पेरेंटिंग प्रेशर में कपल कैसे बदलते हैं?

Counselor Advice: पेरेंटिंग प्रेशर में कपल कैसे बदलते हैं?

माता-पिता बनना हर कपल के लिए बेहद खुशी का अनुभव होता है, लेकिन साथ ही यह जीवन की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी भी लाता है। बच्चे के आने के बाद कपल का रिश्ता बदलता है—जहां पहले प्राथमिकता एक-दूसरे का साथ होती थी, वहीं अब पालन-पोषण और ज़िम्मेदारियाँ केंद्र में आ जाती हैं। यही दबाव कई बार रिश्ते में दूरी, झगड़े या भावनात्मक थकान का कारण बनता है।

रिश्ते में आने वाले बदलाव

  1. रोमांस से जिम्मेदारी तक का सफर – पहले जहां कपल डेट, बातचीत और आपसी केयर में समय बिताते थे, वहीं अब नींद पूरी न होना, बच्चे की ज़रूरतें और पारिवारिक अपेक्षाएँ रिश्ते पर हावी हो जाती हैं।
  2. कम होती संवादिता – अक्सर थकान और भागदौड़ के बीच पति-पत्नी खुलकर बातचीत नहीं कर पाते, जिससे गलतफहमियाँ बढ़ती हैं।
  3. भूमिकाओं का असंतुलन – अगर एक साथी पर पालन-पोषण और घर की ज़िम्मेदारी ज़्यादा आ जाए, तो रिश्ते में खटास और तनाव बढ़ सकता है।

Expert Advice: ससुराल और मायके के बीच कैसे बनाएं संतुलन?

Advice पति–पत्नी के बीच झगड़े: रिश्ता मजबूत कैसे बनेगा?

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. सीमा अग्रवाल कहती हैं –
“पेरेंटिंग एक टीमवर्क है। अगर दोनों साथी खुलकर जिम्मेदारी बाँटें और छोटे-छोटे पलों में एक-दूसरे की सराहना करें, तो रिश्ता मजबूत होता है।”

समाजशास्त्री प्रो. अरुण तिवारी के अनुसार –
“भारतीय समाज में संयुक्त परिवार और बाहर की अपेक्षाएँ कपल पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं। इसलिए कपल को अपने रिश्ते और बच्चे की परवरिश के बीच संतुलन बनाने के लिए निजी स्पेस और संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।”

रिलेशनशिप काउंसलर नीलम वर्मा बताती हैं –
“अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि पेरेंटिंग में कपल टाइम खुद-ब-खुद बलिदान हो जाएगा, जबकि सच यह है कि पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होगा तो ही बच्चे का पालन-पोषण स्वस्थ माहौल में हो पाएगा।”

कपल टाइम कैसे बचाएँ?

  1. ‘हम’ टाइम को शेड्यूल करें – बच्चों की नींद या स्कूल टाइम में आधा घंटा भी केवल कपल के लिए निकालें।
  2. छोटी-छोटी बातें करें – दिनभर की थकान के बीच हल्की बातचीत, कॉफी ब्रेक या वॉक रिश्ते में ताजगी लाती है।
  3. जिम्मेदारियाँ बाँटें – एक साथी हमेशा बोझ न उठाए। काम का बंटवारा रिश्ते को संतुलित रखता है।
  4. डिजिटल डिटॉक्स – बच्चे सो जाएँ तो मोबाइल-टीवी से दूर रहकर एक-दूसरे पर ध्यान दें।
  5. कभी-कभी मदद लें – बेबीसिटर, रिश्तेदार या दोस्तों से मदद लेकर कुछ समय केवल कपल के रूप में बिताएँ।

👉 निष्कर्ष यह है कि पेरेंटिंग प्रेशर रिश्ते को बदलता जरूर है, लेकिन अगर कपल संवाद, सहयोग और सिर्फ अपने लिए समय निकालने की आदत डालें, तो यह रिश्ता और मजबूत हो सकता है।

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