पति–पत्नी का रिश्ता गहरे प्यार, भरोसे और साझेदारी पर टिका होता है . लेकिन हर रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं और झगड़े होना स्वाभाविक है . सवाल यह है कि इन झगड़ों को रिश्ते की कमजोरी न मानकर मजबूती का जरिया कैसे बनाया जाए? विशेषज्ञों का मानना है कि सही दृष्टिकोण और बातचीत से हर मतभेद रिश्ते में समझ और निकटता बढ़ा सकता है .
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झगड़े रिश्ते का सामान्य हिस्सा हैं
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. शैलजा मिश्रा कहती हैं –
“झगड़े का मतलब यह नहीं कि रिश्ता टूट रहा है . असल में यह दर्शाता है कि दोनों के बीच संवाद हो रहा है और वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की हिम्मत रखते हैं .” मतभेद तभी खतरनाक होते हैं जब वे चुप्पी और दूरी में बदल जाएं .
झगड़े से सीखने का नजरिया
वरिष्ठ रिलेशनशिप काउंसलर रितु आनंद बताती हैं –
“हर झगड़ा हमें बताता है कि रिश्ते में कौन सी ज़रूरतें या अपेक्षाएँ अधूरी हैं . अगर इन्हें समझदारी से सुना जाए, तो यह रिश्ते को और गहरा बना सकता है .”
झगड़े के बाद ‘रिपेयर मोमेंट’ ज़रूरी
मनोवैज्ञानिक डॉ. अजय राणा के अनुसार –
“झगड़े खत्म होने के बाद सुलह का समय रिश्ते को मजबूत करता है . एक ‘आई एम सॉरी’ या हाथ पकड़ लेना, साथी को यह भरोसा देता है कि लड़ाई प्यार से बड़ी नहीं है .”
झगड़े को सकारात्मक बनाने के उपाय
- सुनना, जीतना नहीं – बहस में साथी की बात पूरी सुनें, सिर्फ जवाब देने की तैयारी न करें .
- ‘मैं’ भाषा का प्रयोग – “तुम हमेशा…” कहने के बजाय कहें – “मुझे लगता है…” .
- गुस्से में विराम – बहुत तनाव हो तो थोड़ी देर रुककर शांत होने के बाद ही बातचीत करें .
- सीमाएँ तय करें – अपमानजनक शब्द या चुप्पी का हथियार न अपनाएं .
झगड़े रिश्ते को गहराई देते हैं
समाजशास्त्री प्रो. अरुण मेहता बताते हैं –
“किसी भी साझेदारी में मतभेद होना ही है . लेकिन वही जोड़े लंबे समय तक साथ चलते हैं, जो हर टकराव को समझ में बदलना जानते हैं . यह प्रक्रिया रिश्ते को सतही नहीं रहने देती बल्कि उसमें गहराई और लचीलापन लाती है .”
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पति–पत्नी के बीच झगड़े को रिश्ते की कमजोरी नहीं बल्कि संवाद और विकास का अवसर मानना चाहिए . जब साथी एक-दूसरे की भावनाओं को सुनते हैं, सम्मान देते हैं और झगड़े के बाद जुड़ाव पर ध्यान देते हैं, तो यह रिश्ता और भी मजबूत बनता है .
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