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मोटापा: फिजिकल एक्टिविटी की कमी या फास्ट फूड जिम्मेदार?

आज के दौर में किशोरों (teenagers) में ओबेसिटी और न्यूट्रिशनल डिसऑर्डर्स तेजी से बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि गलत खानपान की आदतें, जंक फूड का ज्यादा सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके बड़े कारण हैं.

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मोटापा और लाइफस्टाइल

दिल्ली स्थित डॉ. नीरा अग्रवाल (सीनियर डाइटिशियन, AIIMS) का कहना है –
“किशोरावस्था में शरीर को सबसे ज्यादा प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम की जरूरत होती है. लेकिन बच्चे पिज्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक जैसे हाई-कैलोरी और लो-न्यूट्रिशन फूड्स पर निर्भर हो जाते हैं. इससे वजन तो तेजी से बढ़ता है, लेकिन शरीर अंदर से कमजोर होने लगता है.”

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न्यूट्रिशनल डिसऑर्डर – मोटापे के साथ छिपी कमियां

गुरुग्राम के डॉ. विवेक कुमार (पेडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, मेदांता हॉस्पिटल) बताते हैं –
“अक्सर माता-पिता को लगता है कि मोटा बच्चा हेल्दी है, लेकिन मोटापे के पीछे कई बार एनीमिया, कैल्शियम की कमी और थकान छिपी होती है. ऐसे किशोरों में आगे चलकर डायबिटीज़ और हार्मोनल असंतुलन का खतरा भी बढ़ जाता है.”

फास्ट फूड बनाम फिजिकल एक्टिविटी

sleeping disorder in youth
sleeping disorder in youth

शोध बताते हैं कि 60% से ज्यादा किशोर रोज़ाना कम से कम एक बार जंक फूड खाते हैं. वहीं, शारीरिक गतिविधि (physical activity) में उनकी भागीदारी घट रही है.
डॉ. अग्रवाल का कहना है – “अगर किशोर रोज़ाना कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज या खेलों में हिस्सा लें और जंक फूड हफ्ते में सिर्फ 1–2 बार खाएं, तो मोटापे और अन्य न्यूट्रिशनल डिसऑर्डर्स से बचा जा सकता है.”

समाधान क्या?

  • घर का पौष्टिक खाना (हरी सब्जियां, दाल, दूध, फल) ज्यादा शामिल करें.
  • किशोरों को मोबाइल–टीवी से हटाकर खेलकूद और आउटडोर एक्टिविटीज़ की ओर प्रोत्साहित करें.
  • नियमित हेल्थ चेकअप और ब्लड टेस्ट कराते रहें.

👉 साफ है कि किशोरों में बढ़ते मोटापे के लिए सिर्फ फास्ट फूड ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि लाइफस्टाइल, शारीरिक निष्क्रियता और खानपान की लापरवाही भी उतनी ही बड़ी वजह है.

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