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Patna : जन्माष्टमी का पर्व, पटना इस्कॉन मंदिर में रंगारंग!

पटना : जन्माष्टमी के पावन अवसर पर पटना के इस्कॉन मंदिर में भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला. रात्रि 12 बजे जैसे ही श्री कृष्ण का जन्म हुआ, मंदिर परिसर शंखनाद और घंटों की मधुर ध्वनि से गुंजायमान हो गया. हजारों श्रद्धालु भजन-कीर्तन में लीन होकर भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप का दर्शन करने पहुंचे. मंदिर की गलियां भक्तों से परिपूर्ण थीं और चारों ओर भक्ति भाव का माहौल बना रहा.

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इस अवसर पर बिहार के कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी भी इस्कॉन मंदिर पहुंचे. उन्होंने विशेष पूजा-अर्चना कर भगवान श्री कृष्ण से आशीर्वाद लिया. मंत्री के साथ मौजूद श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से भगवान के चरणों में अपनी मन्नतें अर्पित की. मंत्री ने कहा कि जन्माष्टमी का त्योहार हमें भक्ति, एकता और आध्यात्मिकता का संदेश देता है और यह अवसर समाज में प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने का काम करता है.

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मंदिर में रातभर भजन-कीर्तन, झांकियां और विशेष आयोजन होते रहे. मंदिर के मुख्य हॉल में भगवान श्री कृष्ण को चतुर्भुज रूप में विराजमान किया गया था, उनके हाथों में बांसुरी और शंख-चक्र थे. उनके साथ राधा, रुक्मिणी, ललिता और सद्भामा भी विराजमान रही. भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में मन्नत रखने वाले कभी खाली हाथ नहीं लौटते. जन्माष्टमी के दिन विशेष रूप से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, और लोग बाल रूप वाले कृष्ण के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं.

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मंदिर की सजावट और झांकियों ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. रंग-बिरंगे फूलों, दीपों और लाइटिंग से मंदिर परिसर अत्यंत आकर्षक दिखाई दे रहा था. भक्तों ने रातभर कीर्तन, भजन और आरती में भाग लिया. कई परिवारों ने अपने बच्चों के साथ मंदिर में आकर भगवान श्री कृष्ण की कथाएँ सुनाई और उनकी लीलाओं का अनुभव साझा किया.

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इस्कॉन मंदिर के प्रमुख ने बताया कि जन्माष्टमी का यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है. उन्होंने कहा कि भक्ति और सेवा के इस अवसर पर मंदिर समिति ने सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा. बच्चों और वृद्धजनों के लिए विशेष प्रबंध किए गए, ताकि सभी श्रद्धालु सुरक्षित और आराम से पूजा-अर्चना कर सकें.

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भक्ति और उल्लास के इस पर्व ने न केवल पटना बल्कि आसपास के क्षेत्रों के भक्तों को भी आकर्षित किया. मंदिर परिसर में रात्रि भर श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस त्योहार की भव्यता को और बढ़ा दिया. जन्माष्टमी पर यहां की भव्य झांकियां, भजन-कीर्तन और भगवान के बाल रूप के दर्शन भक्तों के दिलों में स्थायी छाप छोड़ गए.

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