“कुछ लोग सिर्फ जिंदगी जीते हैं, और कुछ लोग दूसरों की जिंदगी बचाने में जीते हैं।
सफेद कोट पहनने वाला हर डॉक्टर सिर्फ एक पेशेवर नहीं होता, वह उम्मीद, हिम्मत और इंसानियत का दूसरा नाम होता है।
इस पेशे में नींद, आराम और निजी जिंदगी से ज्यादा अहम है किसी अनजान इंसान की सांसों को बचाना।
ये कहानी है एक ऐसे डॉक्टर की, जिसने अपने सपनों को दूसरों की धड़कनों में जिया, और हर मरीज के लिए खुद को हद से ज्यादा समर्पित किया।”

आरा (बिहार)। कठिन संघर्ष और अदम्य साहस की मिसाल हैं भोजपुर के रहने वाले डॉ. रंजीत कुमार सिंह। एम्स दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाना हर डॉक्टर का सपना होता है, लेकिन डॉ. रंजीत ने ये सपना पूरा करने के बाद उसे छोड़कर बिहार की मिट्टी की सेवा को अपना कर्तव्य बना लिया।

भोजपुर जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे डॉ. रंजीत की शुरुआती पढ़ाई यहीं हुई। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल और सेवा भाव से ओतप्रोत, उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के लिए कठिन प्रतिस्पर्धा पार करते हुए एम्स, दिल्ली में दाखिला लिया। यहां उन्होंने न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि न्यूरोलॉजी में गोल्ड मेडल हासिल किया।

दिल्ली में चमकते करियर और बड़े अस्पतालों की सुविधाओं को छोड़कर उन्होंने अपने गृह जिले आरा में Patliputra Neuro Care की स्थापना की। उनका उद्देश्य था— बिहार के मरीजों को वही आधुनिक इलाज देना जो दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में मिलता है।

डॉ. रंजीत ने भोजपुर में न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में कई नई पहल की। स्ट्रोक थ्रॉम्बोलाइसिस (Stroke Thrombolysis) और बोटॉक्स ट्रीटमेंट जैसी आधुनिक तकनीकें जिला स्तर पर शुरू कीं। उनकी कोशिशों से न सिर्फ आरा बल्कि आसपास के जिलों के मरीजों को भी फायदा हो रहा है।

वे सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े हैं। मिर्गी, स्ट्रोक और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर जागरूकता कैंप आयोजित करना, ग्रामीण इलाकों में मुफ्त परामर्श देना और गरीब मरीजों का नि:शुल्क इलाज करना उनकी पहचान है।
डॉ. रंजीत मानते हैं कि असली संतोष तब मिलता है जब आप अपनी जड़ों को कुछ लौटाते हैं। वे कहते हैं— “एम्स का नाम और करियर बड़ा हो सकता है, लेकिन गांव-घर के लोग जब आपको आशीर्वाद देते हैं तो उसका कोई मुकाबला नहीं।”
आज वे बिहार के युवाओं और मेडिकल छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका मानना है कि अगर विशेषज्ञ डॉक्टर छोटे शहरों और गांवों में सेवा दें तो बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है।
डॉ. रंजीत की कहानी इस बात का प्रमाण है कि इच्छाशक्ति और लगन से न केवल व्यक्तिगत सफलता मिलती है, बल्कि समाज में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
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