पटना : पूर्व विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि भाजपा सरकार ने माता सीता का अपमान किया है. उन्होंने कहा कि बिहार की पावन भूमि मिथिला, खासकर सीतामढ़ी जिले का पुनौरा धाम, जहां राजा जनक ने हल चलाते समय भूमि से कन्या प्राप्त की थी, वह स्थान बिहारवासियों की आस्था का केंद्र है. यहां माता सीता का जन्म हुआ, इसी कारण बिहारवासियों को अपनी मिट्टी पर गर्व है. लेकिन केंद्र सरकार ने संसद में यह कहकर कि सीतामढ़ी में माता सीता के जन्म का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, इस आस्था को ठेस पहुंचाई है.
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प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि यह बयान न केवल धार्मिक भावनाओं पर आघात है, बल्कि बिहार की अस्मिता का भी अपमान है.उन्होंने कहा कि इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि भाजपा सरकार माता सीता के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दे. यह भारत की आध्यात्मिक आस्था पर सीधा हमला है.
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अब जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीता मंदिर परियोजना का शिलान्यास करने बिहार आ रहे हैं, तो कांग्रेस की मांग है कि वह पहले बिहार और देशवासियों से माफी मांगें. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आस्था को आकार दिया, जबकि भाजपा ने अपमान किया.
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उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2011 को कांग्रेस सरकार ने IL&FS IDC Ltd. को राष्ट्रीय सलाहकार नियुक्त किया था. इस संस्था ने बिहार समेत कई राज्यों में धार्मिक पर्यटन सर्किट की पहचान की. 2013 तक पर्यटन मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया और रामायण सर्किट को मंजूरी दी. इस सर्किट में वे स्थल शामिल हैं जो भगवान राम और माता सीता के जीवन से जुड़े हैं.
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रामायण सर्किट में शामिल प्रमुख स्थल हैं: तार, अहिरौली, रामरेखा घाट, प्रेतशिला पहाड़, गिद्धेश्वर, काको, सिंहेश्वर स्थान, फुल्लहर, सीताकुंड, सीतामढ़ी, रेवेलगंज, रामचुरा, अहिल्या स्थान, जानकी मंदिर, पुनौरा, हलेश्वर स्थान, पंथ पकड़, चंकीगढ़ और वाल्मीकि नगर. इन स्थलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रामायण काल से जुड़ा है.
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कांग्रेस सरकार ने बौद्ध, सूफी और जैन सर्किट को भी मान्यता दी. बौद्ध सर्किट में बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, कहलगांव और पटना शामिल हैं. सूफी सर्किट में काको, हाजीपुर, मनेर शरीफ, फुलवारी शरीफ और बिहार शरीफ हैं.जैन सर्किट में राजगीर, जल मंदिर, कुंडलपुर, सोंभंडार और मंदर हिल जैसे स्थल शामिल हैं.
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मिश्रा ने कहा कि भाजपा सरकार ने केवल योजनाओं की घोषणा की, लेकिन सीता माता मंदिर के लिए कोई मदद नहीं दी.जनवरी 2015 में शुरू हुई PRASHAD योजना और दिसंबर 2014 में शुरू हुई स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट को शामिल किया गया, लेकिन सीता मंदिर के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया.
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संवाददाता सम्मेलन में प्रेमचंद्र मिश्रा के साथ मीडिया चेयरमैन राजेश राठौड़ और सोशल मीडिया चेयरमैन सौरभ सिन्हा भी मौजूद थे.
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