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Relationship: पति का रोल सिर्फ ‘कमाई’ तक सीमित नहीं

बात सिर्फ पैसे की नहीं, भावनाओं की भी है

“पेरेंटिंग का असली मतलब है—दोनों का बराबरी से साथ देना, न कि सिर्फ खर्च उठाना.”
डॉ. मेघना वर्मा, रिलेशनशिप काउंसलर, दिल्ली

Relationship Tips

जब कोई महिला मां बनती है, तो उसका शरीर, मन और दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है. लेकिन क्या पति इस बदलाव का हिस्सा बनते हैं? अक्सर समाज में माना जाता है कि पुरुष की भूमिका सिर्फ कमाने और घर चलाने तक सीमित है, लेकिन आज की नई पीढ़ी के रिश्तों में यह सोच अब चुनौती दी जा रही है.

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“नई मां (New Mom)” का संघर्ष क्या है?

  • पोस्टपार्टम डिप्रेशन
  • नींद की भारी कमी
  • शरीर में थकावट, हार्मोनल बदलाव
  • हर काम के लिए ‘अकेले’ जिम्मेदार महसूस करना
  • “अच्छी मां बन पाऊंगी या नहीं?” वाली चिंता

“महिलाएं खुद को भूल जाती हैं. उन्हें किसी के कंधे की, किसी के ‘मैं हूं तुम्हारे साथ’ कहने की ज़रूरत होती है. ये किसी भी दवा से ज्यादा असर करता है.”
— स्मिता सिंह, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, पटना

पति की भूमिका: कहां जरूरी है उनका साथ?

  • बच्चे की देखभाल में बराबरी से हिस्सा
  • रात में बच्चे को संभालना
    डायपर बदलना, दूध गरम करना
    डॉक्टर विज़िट या वैक्सीनेशन में साथ रहना
  • पत्नी की मानसिक स्थिति को समझना
  • “तुम थक गई हो?” यह सवाल पूछना
    उसे रोने का, बोलने का और सुनने का मौका देना
    ‘तुम सब कर लोगी’ कह कर पल्ला झाड़ना नहीं
  • घर के दूसरे कामों में सहयोग देना
  • किचन, कपड़े, सफाई में हाथ बंटाना
    परिवारवालों के बीच पत्नी को स्पेस और सपोर्ट देना

विशेषज्ञों की राय: क्यों जरूरी है पति का सक्रिय रोल?

डॉ. अनुपमा जोशी (गायनोकोलॉजिस्ट, मुंबई), “प्रसव के बाद महिलाओं को फिजिकल ही नहीं, इमोशनल रिकवरी की भी ज़रूरत होती है. ऐसे में पति का सपोर्ट मेडिसिन से भी ज्यादा असरदार होता है.”

डॉ. नीरज सक्सेना (रिलेशनशिप काउंसलर, नोएडा), “पति अगर इमोशनल सपोर्ट नहीं देंगे, तो मां बनने का अनुभव बोझ बन सकता है. वाइफ को यह महसूस होना चाहिए कि वह अकेली नहीं है.”

‘कमाई’ नहीं, ‘कनेक्शन’ है असली जिम्मेदारी

  • “मैं तो काम पर जाता हूं, इतना काफी है”—यह सोच अब पुरानी हो चुकी है.
  • महिला जब मां बनती है, तो उसके जीवन में एक नई भूमिका जुड़ती है. उस भूमिका में पति का साथ सिर्फ ज़रूरी नहीं, अनिवार्य है.
  • साथ निभाने से रिश्ता भी गहरा होता है और बच्चे का विकास भी बेहतर होता है.

क्या करें पति? (Teenage Relationship)

| करना चाहिए ✅ | नहीं करना चाहिए ❌ |

| पत्नी के साथ जागना | “ये सब तो महिलाओं का काम है” कहना |
| बच्चे को गोद में लेना | सिर्फ टीवी/फोन में लगे रहना |
| सुनना और समझना | हर बात में सलाह देना |
| साथ डॉक्टर जाना | सबकुछ मां पर छोड़ देना |

“पति” बनना सिर्फ शादी का रोल नहीं है, बल्कि “पिता” और “साथी” का भी दायित्व है. बच्चा दोनों का है, इसलिए ज़िम्मेदारी भी दोनों की होनी चाहिए. जब पति कमाई के साथ-साथ देखभाल, संवेदना और सहयोग में भी बराबरी दिखाते हैं, तभी एक महिला “मां” बनने के अनुभव को संपूर्णता से जी पाती है.

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