जब बच्चे बड़े हो रहे हों, रिश्ते भी बदलते हैं
(Teenage Relationship) : टीनएज वो समय है जब बच्चा अपने इमोशन्स को लेकर पहली बार गंभीर होता है . वह दोस्ती से आगे जाकर किसी के लिए खास महसूस करने लगता है . ऐसे में जब पैरेंट्स को यह पता चलता है कि उनका बच्चा किसी रिलेशनशिप में है, तो उनकी पहली प्रतिक्रिया अक्सर या तो नाराज़गी होती है या निगरानी .
क्या Teenage Relationship इमोशनल कनेक्शन या इन्फ्लुएंस?
लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सही तरीका है?
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
डॉ. कविता झा (पेरेंटिंग काउंसलर) कहती हैं:, “अगर आप टीनएज बच्चे को सिर्फ मना करेंगे या डांटेंगे, तो वह और छिपकर काम करेगा . रिश्ते की जानकारी न देना ही उसका डिफेंस मैकेनिज्म बन जाता है . पैरेंट्स को गाइडिंग रोल अपनाना चाहिए, न कि कंट्रोलिंग .”
साइकोथेरेपिस्ट और फैमिली एडवाइजर राकेश शर्मा बताते हैं, “Supportive होने का मतलब रिश्ते को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि बच्चे की भावनाओं को समझना और सही गलत की पहचान सिखाना है . अगर पैरेंट्स सहयोगी रहेंगे, तो बच्चा उनसे खुलकर बात करेगा और गलत फैसलों से बचेगा .”
क्यों दखल देना उल्टा असर करता है?
- बच्चे को लगता है कि उसके इमोशन्स को सीरियसली नहीं लिया जा रहा
- वह असुरक्षित या विद्रोही हो सकता है
- छिप-छिपकर बातें करना शुरू कर देता है, जिससे ट्रस्ट गैप बढ़ता है
क्या करें पैरेंट्स?
- सुनें, टोके नहीं
- पहले उनकी बातों को शांति से सुनें . सलाह देने से पहले समझें .
- सीमाएं तय करें
- रिलेशनशिप को पूरी छूट न दें, लेकिन प्यार और विश्वास के साथ सीमाएं ज़रूर तय करें (जैसे स्क्रीन टाइम, मिलने का समय, etc.) .
- Sex और Consent पर खुलकर बात करें
रिसर्च बताती है कि जिन पैरेंट्स ने सेक्सुअल अवेयरनेस की बात की, उनके बच्चे कम जोखिम उठाते हैं .
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रोल मॉडल बनें
अगर माता-पिता खुद एक-दूसरे के साथ रिस्पेक्टफुल रिलेशनशिप में हैं, तो बच्चा वही सीखेगा .
Overreaction से बचें

गलती हो भी जाए, तो शांत रहें . सज़ा से ज़्यादा जरूरी है संवाद .
टीनएज रिलेशनशिप को लेकर पैरेंट्स की भूमिका एक नेविगेटर की तरह होनी चाहिए — जो रास्ता दिखाए, न कि ज़बरदस्ती ड्राइव करे . दखल से भरोसा टूटता है, लेकिन सहयोग से संवाद बनता है .
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