मुंगेर: “एक दशक तक पुलिस की आंखों में धूल झोंककर जंगलों की खामोशी में खून का खेल खेलने वाला इनामी नक्सली भोला कोड़ा… आखिरकार हथियार डालने पर मजबूर हो गया. बिहार-झारखंड की पहाड़ियों में दहशत का दूसरा नाम बन चुका ये उग्रवादी, अब कानून के सामने नतमस्तक है. मुंगेर के जंगलों में चल रही STF और पुलिस की दबिश ने उसके पांव उखाड़ दिए — और आज उसने खुद पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद के सामने आत्मसमर्पण कर, हिंसा से तौबा कर ली.”
नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी कामयाबी मिली है. 2 लाख के इनामी और 10 साल से फरार नक्सली भोला कोड़ा ने शनिवार को पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. भोला कोड़ा को विकास दा और रोहित कोड़ा के नाम से भी जाना जाता है.
भोला कोड़ा का सरेंडर बिहार पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई का नतीजा है. हाल ही में 5 जुलाई 2025 को राजासराय के जंगलों में मुठभेड़ हुई थी. इसके बाद कर्मंत्री और सबासिन सिंह के इलाकों में पुलिस की दबिश तेज हो गई थी. इसी दबाव और राज्य सरकार की समर्पण व पुनर्वास नीति के चलते भोला कोड़ा ने आत्मसमर्पण किया.
भोला कोड़ा ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सरेंडर किया. एसपी सैयद इमरान मसूद और अन्य अधिकारियों ने उसे अंग वस्त्र और फूल माला पहनाकर सम्मानित किया. इस मौके पर उसके परिजन भी मौजूद थे.
एसपी ने बताया कि 21 जुलाई को झारखंड के बोकारो जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें कई बड़े नक्सली मारे गए थे. इनमें जमुई का एरिया कमांडर अरविंद यादव उर्फ नेताजी, लखीसराय का टुन्नीलाल कोड़ा और झारखंड का प्रयाग मांझी उर्फ विवेक साहेब शामिल थे. लगातार हो रही इन कार्रवाइयों से नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं.
मुंगेर से मिथुन कुमार की रिपोर्ट …
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