Eight signs Thyroid Diseases, Hypothyroidism, Hyperthyroidism Thyroid Problems Disease: Types and Causes
कानपुर: आज की तेज़ रफ्तार और तनावभरी जीवनशैली में 35 साल से ऊपर की महिलाएं कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं. लेकिन हाल के वर्षों में थायरॉइड (Thyroid Diseases) की बीमारी तेजी से बढ़ी है. डॉक्टर्स के अनुसार, हर 10 में से 3 महिलाएं इस समस्या से प्रभावित हैं, जिसमें सबसे आम है
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हाइपोथायरॉइडिज्म Hypothyroidism, — यानी शरीर में थायरॉइड(Thyroid Diseases) हार्मोन की कमी.
थायरॉइड (Thyroid Diseases)क्या है?
कानपुर के सर्वोदय नगर स्थित जवाहरलाल रस्तोगी हॉस्पिटल सीनियर सर्जन Dr. Devinder kaur के अनुसार, थायरॉइड (Thyroid Diseases) एक ग्रंथि होती है जो गले में स्थित होती है और यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल और हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती है. जब यह ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती, तो शरीर की क्रियाएं धीमी पड़ने लगती हैं.
लक्षण
- थायरॉइड (Thyroid Diseases) की बीमारी के लक्षण कई बार मामूली लग सकते हैं, लेकिन ये धीरे-धीरे गंभीर रूप लेते हैं. इसके मुख्य लक्षण है-
- बिना किसी कारण के वजन बढ़ना
- हर समय थकान महसूस होना
- ठंड अधिक लगना
- बाल झड़ना और त्वचा का रूखापन
- पीरियड्स अनियमित होना
- मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
- ध्यान न लगना और भूलने की आदत
- कब्ज़ या अपच की शिकायत
थॉईराइड (Thyroid Diseases) सिर्फ महिलाओं में ही नहीं पुरुषो में भी होता है, लेकिन पुरुषों के मुकाबले ये महिलाओं में 5 गुना ज्यादा पाया जाता है 35 की उम्र के बाद यह खतरा बढ़ जाता है, खासकर तब ज़ब परिवार में पहले यह बीमारी किसी को हो. या महिला गर्भवती हो.
कैसे करें बचाव और क्या हैं उपाय?
कानपुर के सर्वोदय नगर स्थित जवाहरलाल रस्तोगी हॉस्पिटल सीनियर सर्जन Dr. Devinder kaur के अनुसार, थायरॉइड (Thyroid Diseases) को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए समय पर पहचान और सतर्कता जरूरी है. इससे बचने के कई उपाय हैं जैसे-
हर 6-12 महीने में थायरॉइड का T3, T4 और TSH टेस्ट कराना जरूरी है.डॉक्टर की सलाह पर लेवोथायरॉक्सिन जैसी दवाओं का रोज सेवन करें
आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करें.
हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, नट्स, दही का सेवन करें गोभी, ब्रोकली और सोया उत्पाद सीमित मात्रा में लें प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और हल्की वॉक से हार्मोन बैलेंस बना रहता है.ध्यान और मानसिक विश्राम बहुत जरूरी है, क्योंकि तनाव से हार्मोन असंतुलन और बढ़ता है.
महिलाएं अक्सर परिवार और काम की जिम्मेदारियों के बीच अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं. लेकिन 35 की उम्र के बाद शरीर में आने वाले बदलावों को समझना और समय रहते जांच करवाना बेहद जरूरी है.
लेखक परिचय: इरम पिछले दो साल से हेल्थ और रिलेशनशिप मैनेजमेंट पर लिख रही हैं. समाज में चल रहे रिश्तों में बदलाव पर गहरी नज़र रखती हैं.
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