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औरतों में Osteoporosis क्यों : जानें वजह, लक्षण और इलाज

Osteoporosis: हमारे शरीर को मज़बूती और आकार हमारी हड्डियों से मिलता है. लेकिन बढ़ती उम्र के साथ साथ हड्डियां कमज़ोर होने लगती है.खासकर महिलाओं में 45 की उम्र के बाद ये समस्या आम हो जाती है. इसे “ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)” कहते हैं. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां धीरे धीरे खोखली और कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में जरा सी भी चोट लगने से हड्डी के टूटने (फ्रैक्चर) होने का खतरा बढ़ जाता है.

भारत में बहुत सी महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से प्रभावित हैं, लेकिन इस समस्या को जागरूकता की कमी के कारण गंभीरता से नहीं लिया जाता है. सही समय पर देखभाल और सही जानकारी होने से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है.

क्यों होता है ऑस्टियोपोरोसिस(Osteoporosis)?

कानपुर के कल्याणपुर में स्थित गिरजा मेडी केयर सेंटर के डॉ आर.एन. त्रिपाठी ने बताया कि 45-50 साल की उम्र के बाद महिलाओं को रजोनिवृत्ति (Menopause) होती है मतलब महिलाओं में पीरियड्स स्थायी रूप से बंद हो जाता है, जिसमें एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है.एस्ट्रोजन हड्डियों को तोड़ने वाली कोशिकाओं को (Osteoclasts) को रोकता है. और अगर एस्ट्रोजन कम होता है तो हड्डियां तेज़ी से कमजोर होना शुरू हो जाती है.

हड्डियों को एस्ट्रोजन मज़बूत बनाके रखता है. जिसके काम होने के कारण हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है. कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण भी हड्डियां कमजोर हो जाती है. व्यायाम ना करने से, या बैठने और चलने की ग़लत आदत, और धूप ना लेना भी हड्डियों को कमजोर करता है. महिलाओं की हड्डियां पुरुष के मुक़ाबले पहले से ही थोड़ी पतली और हल्की होती है.

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ऑस्टियोपोरोसिसOsteoporosis के मुख्य लक्षण :

  • इसको साइलेंट डिजीज भी कहते हैं क्योंकि इसके लक्षण जल्दी दिखायी नहीं देते हैं लेकिन कुछ लक्षण पर ध्यान देना चाहिए जैसे –
  • कई बार कमर के नीचे दर्द, या रीढ़ की हड्डी में दर्द हल्का-हल्का शुरू होता है, जिस महिलाएं सामने दर्द समझकर नजरंदाज कर देती है.
    अचानक शरीर का क़द छोटा लगने लगे, या रीढ़ की हड्डी में छोटे छोटे फ्रैक्चर होने लगें तो ये भी इसका कारण है.
    अगर उठते बैठते या झुकते समय या कुछ भारी सामान उठाने पर झटका लगे या तेज से दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
    ज़्यादा पतला शरीर यानी बॉडी मास इंडेक्स कम होने से भी ये दिक्कत होती है, क्योंकि मोटी हड्डियां ज़्यादा मजबूत होती हैं.

इसकी जांच कैसे होती है?

  • बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट (BMD test), यह टेस्ट सबसे जरूरी है, क्योंकि इससे पता चलता है कि आपको हड्डियों का घनत्व कितना है.
  • विटामिन डी और कैल्शियम का स्तर पता करने के लिए खून की जांच करवायी जाती है.
  • जरूरत पड़ने पर डॉक्टर एक्स-रे या स्कैन भी करा सकते हैं.

इसके कुछ समाधान :

महिलाओं को रोजाना कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्र लेना चाहिए. रोजाना हल्की एक्सरसाइज करें और धूप लें ताकि प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिले. योग और स्ट्रेचिंग भी बहुत फायदेमंद है.
सही आहार सही मात्रा में लेने से भी बहुत फायदा होता है जैसे दूध , दही , पनीर , हरी सब्जियां आदि. डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी और कैल्शियम की गोलियां भी ले सकते हैं.

कानपुर के कल्याणपुर में स्थित गिरजा मेडी केयर सेंटर के डॉ आर.एन. त्रिपाठी ने बताया कि डॉक्टर जरूरत के अनुसार कुछ सप्लीमेंट भी देते हैं जैसे Bisphosphonates (बिस्फ़ॉस्फ़ोनेट्स), Calcium Supplements , Vitamin D3. कभी कभी हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) भी दी जाती है, लेकिन ये डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए.

कुछ व्यायाम :

  • Weight bearing exercise – जैसे हल्की वॉक, सीढ़ियाँ चढ़ना , डांसिंग.
  • Resistance exercise – जैसे हल्के डंबल उठाना
  • योग – जैसे वृक्षासन (Tree pose) और ताड़ासन (Mountain pose) रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करते हैं.

इसलिए 45 की उम्र के बाद महिलाओं को अपनी हड्डियों का खास ख्याल रखना चाहिए. नियमित व्यायाम, सही और अच्छा खानपान, और समय पर जांच कराकर आप इस बीमारी को काबू में ला सकते हैं क्योंकि मज़बूत हड्डियां ही आपके स्वस्थ और सुखी जीवन की बुनियाद हैं.

लेखक परिचय: अंशिका श्रीवास्तव करीब तीन साल से लेखन करने वाली पत्रकार हैं. सीएसजेएम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद जटिल चिकित्सा जानकारी को आम लोगों के लिए आसान भाषा में समझाने में जुटी हुई हैं.

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