Legal information, Animal lover, Dog lover: आज के भारत में जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता (Animal Cruelty) एक तेजी से बढ़ती समस्या बन गई है. चाहे वो सड़कों पर घूमते कुत्ते-बिल्ली हों, गाय-बैल हों या पालतू जानवर, हर जगह से हिंसा, उपेक्षा और अमानवीय व्यवहार की खबरें आती रहती हैं. यह न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि हमारी इंसानियत पर भी सवाल उठाता है.
भारत में बढ़ रही है पशु क्रूरता
हाल के वर्षों में पशु दुर्व्यवहार के मामलों में 30% तक की वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में हर साल लाखों जानवर क्रूरता का शिकार होते हैं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन (FIAPO) और अन्य संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच ही 1,000 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए, जिनमें जानवरों को मारा-पीटा गया, उन पर एसिड फेंका गया या उनके साथ यौन हिंसा की गई.
इन मामलों की असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, क्योंकि भारत में पशु क्रूरता के अपराधों को ट्रैक करने के लिए कोई केंद्रीकृत सरकारी व्यवस्था नहीं है. FIAPO ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ऐसे अपराधों का डेटा इकट्ठा करे और ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट में इनके लिए अलग से श्रेणी बनाए.

कानूनी स्थिति और कमियां
भारत में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 लागू है, जिसमें किसी भी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग करना या भूखा-प्यासा छोड़ना अपराध है. लेकिन इस कानून के तहत सजा बहुत मामूली है—कई बार सिर्फ 10 से 50 रुपये का जुर्माना या तीन महीने तक की जेल. यही वजह है कि अपराधियों को डर नहीं लगता और कानून का असर कम हो जाता है.
FIAPO और अन्य संगठनों ने कोर्ट में यह भी बताया कि भारत में पशुओं के खिलाफ यौन अपराधों को अपराध घोषित करने के लिए अलग से कोई सख्त प्रावधान नहीं है, जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी जैसे देशों में ऐसे कानून मौजूद हैं.
आम नागरिक क्या कर सकते हैं?
हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता को रोके. इसके लिए आप ये काम कर सकते हैं:
- अगर किसी जानवर के साथ बुरा हो रहा है, तो तुरंत रिपोर्ट करें.
- पुलिस या Animal Welfare Board of India को शिकायत करें.
- अगर सेफ लगे, तो खुद भी बीच-बचाव करें या आसपास के लोगों की मदद लें.
- NGOs और Animal Shelters को सपोर्ट करें—डोनेशन दें या वॉलंटियर बनें.
- Adopt करें, Shop नहीं—पालतू जानवर खरीदने की बजाय किसी बेघर जानवर को घर दें.
- लोगों को जागरूक करें—बच्चों और दोस्तों को बताएं कि जानवरों के साथ हिंसा गलत है.
- अपने इलाके में पानी और खाना रखें, खासकर गर्मी में.
- सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं और सही जानकारी शेयर करें.
- स्थानीय पशु चिकित्सक या एनजीओ से संपर्क करके घायल जानवर की मदद करवाएं.
- अपने इलाके के बच्चों को जानवरों के प्रति दया और सहानुभूति सिखाएं.
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शिकायत और मदद के लिए कहां संपर्क करें?
अगर आप किसी जानवर के साथ क्रूरता या हिंसा होते देखें, तो आप इन जगहों पर शिकायत कर सकते हैं या मदद मांग सकते हैं:
- Animal Welfare Board of India (AWBI):
यह भारत सरकार का बोर्ड है जो जानवरों के अधिकारों के लिए काम करता है. - फोन नंबर: 0129-2555700
- ईमेल: support-awbi@gov.in
- पता: 42 KM Stone, Delhi-Agra Highway, Village-Seekri, Ballabhgarh, Faridabad, Haryana-121004.
- PETA India (पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स):
इमरजेंसी में 24×7 हेल्पलाइन - फोन नंबर: 98201 22602
- Sanjay Gandhi Animal Care Centre:
रेस्क्यू, इलाज व शिकायत के लिए - फोन नंबर: 9560802425, 8882325407
- पुलिस:
तुरंत मदद के लिए 100 नंबर पर कॉल करें. - ऑनलाइन शिकायत:
आप AWBI की वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
इन नंबरों या ईमेल पर संपर्क करके आप जानवरों के साथ हो रही क्रूरता की शिकायत कर सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं.
समाज में जागरूकता की कमी
कई बार लोग यह नहीं जानते कि जानवरों के साथ बुरा व्यवहार भी अपराध है. बच्चों और युवाओं में जागरूकता की कमी के कारण कई बार वे जानवरों को पत्थर मारना, उन्हें तंग करना या भूखा छोड़ना मज़ाक समझ लेते हैं. समाज में यह सोच बदलना जरूरी है कि जानवर भी हमारी तरह दर्द, डर और खुशी महसूस करते हैं.
सोशल वर्कर और एनजीओ की भूमिका
ऐसे माहौल में कुछ लोग और संस्थाएं ही हैं, जो जानवरों के लिए आवाज़ उठाते हैं. एक सोशल वर्कर (जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं) बताते हैं:
“हर दिन मुझे कई कॉल्स आती हैं—कहीं कोई कुत्ता सड़क पर मारा जा रहा है, कहीं गाय को चोट लगी है, कहीं पालतू जानवर को भूखा-प्यासा छोड़ दिया गया है. मेरी टीम और मैं मिलकर इन जानवरों को बचाते हैं, उनका इलाज करवाते हैं और पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराते हैं. कई बार हमें धमकियां भी मिलती हैं, लेकिन हम रुकते नहीं. हम चाहते हैं कि कानून सख्त हो और लोग जागरूक बनें.”
इनकी टीम स्थानीय एनजीओ, पशु चिकित्सकों और पुलिस के साथ मिलकर जानवरों की मदद करती है. ये लोग सोशल मीडिया पर भी जागरूकता फैलाते हैं और लोगों को बताते हैं कि वे कैसे मदद कर सकते हैं.
कानून और सरकार की पहल
सरकार ने पशु क्रूरता रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं, जैसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960. इसके अलावा, कई राज्यों ने अवैध पशु वध और कुर्बानी पर सख्त कानून बनाए हैं. सरकार ने सभी जिलों में सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (SPCA) बनाने का निर्देश भी दिया है. लेकिन इन कानूनों का सही पालन और सख्त सजा जरूरी है, तभी असली बदलाव आएगा.
भारत में जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता एक गंभीर और बढ़ती हुई समस्या है. कानून कमजोर हैं, जागरूकता कम है, लेकिन अगर हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और एक्टिव हो जाए, तो बदलाव संभव है. सोशल वर्कर्स, NGOs और कुछ जागरूक लोग इस लड़ाई में सबसे आगे हैं, लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब आम लोग भी साथ आएंगे. अगर आप भी किसी जानवर के साथ बुरा होते देखें, तो चुप मत रहें—आवाज़ उठाएं, हेल्पलाइन पर कॉल करें और जरूरत पड़े तो पुलिस में शिकायत करें. याद रखें, जानवरों की रक्षा करना सिर्फ कानून नहीं, इंसानियत भी है.
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