Bihar Election 2025: चिराग पासवान के जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने बड़ा बयान दिया है. अरुण भारती ने कहा शाहाबाद की जनता चिराग पासवान को नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार है. उन्होंने लिखा कि, “बिहार की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार मांग है कि अब चिराग पासवान बिहार में आकर बड़ी जिम्मेदारी संभालें. पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट इशारा कर रही है कि शाहाबाद की जनता नेतृत्व सौंपने को तैयार है. जल्द ही राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक बुलाई जा सकती है.”
शाहाबाद से चिराग के लड़ने के संकेत के मायने क्या हैं ?
शाहाबाद मतलब पटना से सटा भोजपुर का इलाका. जिसका एक सिरा यूपी तो दूसरा झारखंड से जुड़ता है. राजनीतिक रूप से बक्सर से लेकर आरा, रोहतास और कैमूर का इलाका इस शाहाबाद का हिस्सा माना जाता है. लेकिन देखें तो आरा (भोजपुर) और रोहतास पुराना शाहाबाद है.
शाहाबाद इलाके में लोकसभा की चार सीट है. आरा, बक्सर, सासाराम और काराकाट. चारों पर महागठबंधन का कब्जा है. 2020 के विधानसभा में यहां आरा छोड़कर जिले में NDA का खाता नहीं खुला. वजह चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा का अलग लड़ना था. 22 में से 19 सीट महागठबंधन को 2 बीजेपी, एक बसपा जीती. चूंकि ये इलाका यूपी के करीब है लिहाजा यहां बसपा का प्रभाव है. दलित वोटर अच्छी संख्या में है. लालू यादव के नब्बे वाले दौर में ये पूरा इलाका नक्सली और रणवीर सेना की लड़ाई का गवाह रहा है.
यही वजह है कि RJD ने 2020 विधानसभा चुनाव में लेफ्ट से हाथ मिलाकर बीजेपी का किला हिला दिया. जो अब तक हिला हुआ है. लोकसभा में बक्सर , काराकाट और आरा की हार को सब समझ गए लेकिन सासाराम सुरक्षित सीट पर मिली हार का गणित अब तक अनसुलझा है.
BJP का प्लान
अब NDA चिराग पासवान के जरिए इस इलाके में RJD, लेफ्ट और BSP तीनों के प्रभाव को कमजोर करने की प्लानिंग में है. चिराग को सामान्य सीट से लड़ाकर एक संदेश देना है दलितों को कि उनका बेटा सर्व समाज में स्वीकार्य है.
इस इलाके में लोजपा ने पिछली बार अच्छा वोट काट लिया था. तब बड़ी संख्या में बीजेपी के बागी उनसे जुड़े थे. अब चिराग इसी का फायदा लेना चाहते हैं. विधायक बनकर सीएम और डिप्टी सीएम की कुर्सी के स्वाभाविक दावेदार होंगे. दलितों को संदेश जाएगा कि नीतीश के बाद चिराग सीएम बनने वाले हैं.
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