11. सुगौली विधानसभा बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का एक अहम हिस्सा है, जो अपने इतिहास, राजनीति, अर्थव्यवस्था, जातीय समूहों और भौगोलिक स्थिति के कारण खास है।
विधायक : शशि भूषण सिंह
दल : राजद
आर्थिक स्थिति
आर्थिक रूप से, यह क्षेत्र मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है। यहाँ की प्रमुख फसलें चावल, गेहूं, मक्का, आलू और दालें हैं। खेती के साथ ही, लोग छोटे कारोबार, गृह उद्योग और पशुपालन से अपनी जिंदगी चलाते हैं। इस क्षेत्र की भूमि, पानी और जंगल जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। हालांकि, बुनियादी ढांचे की कमी और खेती की समस्याएँ अभी भी बनी हुई हैं।
रानीतिक स्थिति
राजनीतिक रूप से, सुगौली बिहार की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। यहाँ जातीय भावनाओं के आधार पर चुनाव होते हैं। प्रमुख दलों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस शामिल हैं। यहाँ की राजनीति में वामपंथी और कांग्रेस समर्थक आंदोलनों का इतिहास भी रहा है।
जातीय स्थिति
सुगौली क्षेत्र में अनेक जाति और समुदाय रहते हैं। यहाँ हिन्दू समुदाय के यादव, ठाकुर, ब्राह्मण, राजपूत, और अन्य ओबीसी व एससी-एसटी समुदाय के लोग पाए जाते हैं। मुस्लिम समुदाय भी यहाँ अच्छा खासा संख्या में है। इन जातियों और समूहों के बीच तकरार और समझौता चुनावी नतीजों को रोज प्रभावित करता है।
भौगोलिक स्थिति
यह क्षेत्र पूर्वी चंपारण के दक्षिणी हिस्से में है। यहाँ की जमीन समतल है और नदी के किनारे होने के कारण उपजाऊ भी है। नदी के पास होने का कारण बाढ़ का खतरा रहता है। मानसून में यहाँ जलभराव और बाढ़ की समस्या बड़ी समस्या है।
ऐतिहासिक प्रभाव
सुगौली का इतिहास भी बहुत पुराना है। यहाँ 1815 में ब्रिटिश सरकार ने नेपाल के साथ संधि की थी। इस “सुगौली संधि” में नेपाल ने अपनी बहुत सी जमीनें ब्रिटिशों को दीं। इस संधि को भारत के इतिहास का एक बड़ा मोड़ माना जाता है। साथ ही, महात्मा गांधी का चंपारण सत्याग्रह भी यहाँ हुआ। यह 1917 में किसानों के हक में शुरू हुआ आंदोलन था।
सुगौली का महत्व उसके खेती, समाज और इतिहास से ही नहीं जुड़ा है। यहाँ की जातीय और भौगोलिक विविधता इसे खास बनाती है। अपने स्वतंत्र और समृद्ध इतिहास के साथ, यह क्षेत्र बिहार का एक खास हिस्सा है।
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