कोई भी रिश्ता विश्वास पर टिका होता है, लेकिन जब वही भरोसा टूटता है तो सवाल उठता है कि आखिर क्यों लोग धोखा देते हैं? प्यार, दोस्ती, शादी या किसी भी रिश्ते में धोखा एक आम शब्द बन गया है, कई लोग शिकायत करते हैं कि उन्होंने पूरी सच्चाई से रिश्ता निभाया फिर भी उन्हें धोखा मिला. इस रिपोर्ट में हमने यही जानने कि कोशिश की है कि आखिर कोई अपने – अपनों को क्यों छोड़ देता है?
सोशियोलॉजिस्ट मानते हैं कि आजकल के रिश्तों में लोग अपने फायदे पहले देखने लग जाते हैं “क्या मिल रहा है ” ये सोच ज्यादा हावी हो गई है जैसे ही लोगों को महसूस हो जाता है कि सामने वाला उसके मतलब का नहीं रहा, वे धोखा देने से नहीं हिचकिचाते. कई लोग रिश्तों को गंभीरता से लेना नहीं जानते, ऐसे लोग बार बार पार्टनर बदलते हैं, कई बार बातें मन में रह जाती हैं और शिकायते बढ़ती जाती हैं और उस खालीपन को कोई तीसरा भरने कि कोशिश करने लगता है जिससे रिश्तों में दरार आने लगती है.
मनोवैज्ञानिक डॉ.दिव्या गुप्ता कहती हैं,” धोखा सिर्फ रिश्ते का नहीं आत्मविश्वास का भी नुकसान करता है. धोखा देने वाले अक्सर अंदर से अधूरे होते हैं” .
तो वहीं धोखा खाने वालों के लिए भी ये किसी ट्रामा से कम नहीं होता है, इंसान खुद पर, प्यार पर और कई बार तो ज़िन्दगी से भी भरोसा खो देता है, लेकिन इस सब से निकलना बहुत जरूरी है.
मनोवैज्ञानिक डॉ.दिव्या गुप्ता कि सलाह है कि खुद को वक़्त दें, अपनों से बात करें, खुद की गलतियां देखे और उन्हें सुधारे खुद को स्ट्रांग बनाए पॉजिटिव सोचे.
रिश्ते आज भी सुधारे जा सकते हैं जैसे पहले थे, बशर्ते ईमानदारी, और संवाद की समझ हो.
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