महिलाओं और किशोरियों में माहवारी (पीरियड्स) के दौरान होने वाला पेट, कमर या जांघों का दर्द एक आम समस्या है, जिसे मेडिकल भाषा में डिस्मेनोरिया (Dysmenorrhea) कहा जाता है. यह दर्द कुछ महिलाओं में हल्का होता है, तो कुछ में इतना तेज़ कि सामान्य दिनचर्या भी प्रभावित हो जाती है.
स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आराधना पांडेय के अनुसार, यह दर्द गर्भाशय की सिकुड़न के कारण होता है, जो पीरियड्स के समय उसकी परत को बाहर निकालने में मदद करता है. इस प्रक्रिया में शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन नामक हार्मोन निकलता है, जिसकी अधिकता दर्द, थकान, उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है.
सरकारी और गैर-सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 70% महिलाएं पीरियड्स के दौरान दर्द का अनुभव करती हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई लोग इसे सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं.
स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आराधना पांडेय का मानना है कि जब यह दर्द हर महीने सामान्य जीवन पर असर डालने लगे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
पीरियड्स के दर्द को कम करने के लिए, गर्म सेंक आयरन युक्त भोजन, हल्की एक्सरसाइज और समय पर दवा लेने की सलाह दी जाती है.
साथ ही, स्कूलों और घरों में माहवारी (पीरियड्स) से जुड़ी जानकारी और खुली बातचीत को बढ़ावा देना जरूरी है.
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