आपने भी कभी न कभी ये ज़रूर सोचा होगा कि ये क्रिकेट की पिच 20 गज या 26 गज की भी तो हो सकती थी, पर ये 22 गज ही क्यों फाइनल हुई? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देने जा रहे हैं — और यकीन मानिए, जवाब सुनकर आप क्रिकेट को और भी मज़ेदार नज़र से देखने लगेंगे.
शुरुआत में तय नहीं थी पिच की लंबाई:
क्रिकेट जब 16वीं सदी में इंग्लैंड के खेतों और गांवों में खेला जाता था, तब न कोई बॉलिंग ऐक्शन फिक्स था, न ही पिच की लंबाई. खिलाड़ी बस “अपनी समझ” और “जगह की सहूलियत” के हिसाब से खेलते थे. कभी पिच छोटी, कभी बड़ी. तब न ICC था, न DRS — बस बल्ला, बॉल और भरपूर मनोरंजन.
22 गज आया कहां से?
पुराने ज़माने में इंग्लैंड में मापने के लिए जिस इकाई का उपयोग होता था उसे गज (yard) कहते थे, और ज़मीन नापने के लिए सबसे भरोसेमंद चीज़ होती थी — चेन (Chain).
- एक चेन = 22 गज (या 66 फीट)
- इसे “surveyor’s chain” भी कहा जाता था, जिसका इस्तेमाल खेतों की ज़मीन नापने में होता था.
चूंकि क्रिकेट ज़्यादातर गांवों के खेतों में ही खेला जाता था, तो लोगों ने पिच की दूरी नापने के लिए वही चेन इस्तेमाल करना शुरू कर दिया — और ऐसे ही पिच की लंबाई 22 गज फिक्स हो गई.
पर ये साइंटिफिकली भी क्यों सही है?
अब कोई बोलेगा — अरे ये तो संयोग हुआ, क्या 22 गज क्रिकेट के लिए सही भी है?
तो जवाब है — हां, बिल्कुल, क्योंकि 22 गज की दूरी वो स्पॉट है:
- जहां गेंदबाज़ को बॉल में स्विंग और बाउंस दोनों मिलते हैं.
- और बल्लेबाज़ को भी सोच-समझकर शॉट खेलने का वक्त मिलता है.
- इससे न तो बल्लेबाज़ को ज़्यादा समय मिलता है और न ही गेंदबाज़ को बहुत कम स्पेस — यानी बैट और बॉल का बैलेंस बना रहता है.
क्या कभी पिच की लंबाई बदली?
नहीं, 1744 में पहली बार जब क्रिकेट के आधिकारिक नियम बने, तब से ही पिच की लंबाई 22 गज रखी गई — और तब से आज तक वही चली आ रही है.
आज भले ही स्टेडियम आधुनिक हो गए हों, DRS आ गया हो, Ball Tracking और Ultra-edge जैसे हाईटेक सिस्टम हों — लेकिन पिच अब भी उतनी ही दूरी की होती है: 22 गज.
क्रिकेट की पिच की दूरी 22 गज एक ऐतिहासिक संयोग है, जो वक्त के साथ परंपरा, संतुलन, और तकनीकी समझ का प्रतीक बन गई. और यही बात क्रिकेट को बहुत खास बनाती है — जहां हर इंच की दूरी के पीछे भी होती है एक कहानी.
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