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RSS किस भारत की कल्पना करता है?

RSS किस भारत की कल्पना करता है?

एक सांस्कृतिक, संगठित और आत्मनिर्भर राष्ट्र का दृष्टिकोण -डॉ मनोज कुमार शुक्ला

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक ऐसे भारत की कल्पना करता है जो न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो, बल्कि सामाजिक रूप से समरस, चरित्रवान नागरिकों से युक्त और आत्मनिर्भर भी हो. संघ का यह दृष्टिकोण किसी धार्मिक या कट्टर राष्ट्र की परिकल्पना नहीं, बल्कि एक ऐसे भारत की रूपरेखा है जो अपनी प्राचीन परंपराओं, मूल्यों और राष्ट्रीय अस्मिता के साथ आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो.

  1. हिंदू राष्ट्र – एक सांस्कृतिक पहचान

RSS भारत को एक “हिंदू राष्ट्र” मानता है, लेकिन इसका अर्थ किसी धार्मिक राज्य से नहीं है. यहाँ “हिंदू” शब्द सांस्कृतिक पहचान और जीवन मूल्यों का प्रतीक है, न कि पूजा-पद्धति या जाति का. संघ मानता है कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा हजारों वर्षों से एक है, और इसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोग सम्मिलित हैं.

  1. सांस्कृतिक पुनरुत्थान का लक्ष्य

संघ भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं — जैसे वेद, उपनिषद, संस्कृत, योग और आयुर्वेद — को समाज में पुनः प्रतिष्ठित करना चाहता है. उनका मानना है कि भारत को पश्चिमी जीवनशैली की नकल छोड़कर, अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए.

  1. सामाजिक समरसता की स्थापना

RSS जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठाता रहा है. उसका सपना है एक ऐसा समाज जहाँ हर नागरिक को केवल ‘भारतीय’ के रूप में देखा जाए. “हम सब भारत माता के संतान हैं” — यही इसकी सोच है.

  1. राष्ट्रसेवक नागरिक निर्माण

संघ ऐसे नागरिकों का निर्माण करना चाहता है जो चरित्रवान, अनुशासित, देशभक्त और सेवा-भाव से ओतप्रोत हों. शाखाओं के माध्यम से स्वयंसेवकों को शारीरिक, बौद्धिक और नैतिक प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे समाज और राष्ट्र की सेवा कर सकें.

  1. भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली

RSS शिक्षा व्यवस्था में भारत के नायकों, मूल्यों और गौरवशाली इतिहास को स्थान देने की पक्षधर है. संघ का मानना है कि बच्चों में राष्ट्रप्रेम, सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिक संस्कार बचपन से ही डाले जाने चाहिए.

  1. स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत

संघ ‘वोकल फॉर लोकल’ को केवल नारा नहीं, बल्कि जीवनशैली मानता है. वह भारतीय उत्पादों, तकनीकों और विचारों के प्रयोग को प्राथमिकता देता है. आर्थिक और वैचारिक रूप से स्वतंत्र भारत ही सशक्त भारत बनेगा — यह संघ का दृष्टिकोण है.

  1. सशक्त और संगठित राष्ट्र का निर्माण

RSS एक शक्तिशाली भारत की कल्पना करता है — सैन्य रूप से सशक्त, आंतरिक रूप से संगठित और सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर. संघ का मानना है कि जब नागरिक संगठित होंगे, तो राष्ट्र अपने आप सुरक्षित होगा.

निष्कर्षतः, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सपना एक ऐसा भारत है जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, सामाजिक रूप से एकजुट, और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत हो. यह भारत न केवल अपने अतीत पर गर्व करता हो, बल्कि वर्तमान और भविष्य को भी आत्मविश्वास से गढ़ता हो.

[Disclaimer:- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि saharasamay.in इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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