KidsParenting: आज के तेज रफ्तार जीवन में माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही उम्र में बच्चों के साथ दोस्ती जैसा रिश्ता बना लिया जाए, तो वे न सिर्फ खुलकर बात करते हैं बल्कि भावनात्मक रूप से भी ज्यादा मजबूत बनते हैं. चलिए जानते हैं बच्चों को दोस्त बनाने का सही समय कौन-सा है?
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3 से 5 साल: नींव रखने का समय
3 से 5 साल की उम्र वह समय होता है जब बच्चा माता-पिता के व्यवहार को गहराई से समझने लगता है, इस उम्र में अगर माता-पिता बच्चे की बातें ध्यान से सुनें, उसके साथ खेलें और डांट की बजाय समझाएं, तो दोस्ती की नींव यहीं से पड़ जाती है.
6 से 10 साल: भरोसा बनाने का दौर
इस उम्र में बच्चे स्कूल जाने लगते हैं और बाहरी दुनिया से जुड़ते हैं, विशेषज्ञ कहते हैं कि 6 से 10 साल की उम्र में माता-पिता को बच्चों के दोस्त, डर और खुशियों में दिलचस्पी लेनी चाहिए, यही वह दौर है जब बच्चा माता-पिता को अपना सबसे बड़ा भरोसेमंद दोस्त मानने लगता है.
11 से 15 साल: दोस्ती सबसे ज्यादा जरूरी
किशोरावस्था की शुरुआत में बच्चे शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरते हैं, इस समय माता-पिता का दोस्ताना रवैया बेहद जरूरी होता है. अगर इस उम्र में बच्चे से दोस्ती नहीं की गई, तो वह अपनी बातें बाहर के लोगों से साझा करने लगता है.
एक्सपर्ट की राय
चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा शर्मा के अनुसार, माता-पिता को बच्चों के साथ दोस्ती जन्म से ही शुरू कर देनी चाहिए, लेकिन 6 से 15 साल की उम्र इसे मजबूत करने का सबसे अहम समय होता है, इस दौरान संवाद और भरोसा बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाता है.
इन गलतियों से बचें
हर बात पर तुलना करना, बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करना, सिर्फ पढ़ाई पर दबाव बनाना, गलती पर तुरंत सजा देना.
दोस्ती के फायदे
बच्चे खुलकर अपनी बात रखते हैं, गलत संगत से बचते हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है, तनाव और डर कम होता है.
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