WorshipRules: हिंदू धर्म में आरती पूजा का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है. आरती के समय अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आंखें खुली रखनी चाहिए या बंद? इस विषय पर शास्त्रों, परंपराओं और विद्वानों की अलग-अलग व्याख्याएं मिलती हैं, आइए जानते हैं शास्त्र क्या कहते हैं.
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शास्त्रों की दृष्टि से आरती का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, आरती केवल दीप घुमाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह ईश्वर के साकार स्वरूप का दर्शन और पंचतत्वों की शुद्धि का माध्यम है. दीपक की लौ अग्नि तत्व का प्रतीक मानी जाती है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है.
आंखें खुली रखने का शास्त्रीय पक्ष
शास्त्र और परंपरा के अनुसार आरती के समय आंखें खुली रखना अधिक शुभ माना गया है, इससे भगवान के दर्शन होते हैं, दीपक की लौ और मूर्ति का दर्शन मन में एकाग्रता और श्रद्धा बढ़ाता है, इसे साक्षात ईश्वर से जुड़ने का माध्यम माना जाता है, मान्यता है कि खुली आंखों से किया गया दर्शन मन और आत्मा दोनों को शांति देता है.
आंखें बंद करने का क्या अर्थ है?
कुछ विद्वानों के अनुसार आंखें बंद करना ध्यान या भक्ति की गहराई दर्शाता है, यह मन को बाहरी दुनिया से हटाकर अंतर्मुखी साधना की ओर ले जाता है. हालांकि, शास्त्रों में आरती के दौरान आंखें बंद रखने का स्पष्ट निर्देश नहीं मिलता.
सही तरीका क्या है?
आरती के समय आंखें खुली रखें और भगवान के दर्शन करें, अंत में कुछ क्षण आंखें बंद कर मन ही मन प्रार्थना की जा सकती है, यह तरीका शास्त्रसम्मत और संतुलित माना जाता है.


























