GangaCoin: भारत में गंगा नदी को पवित्र माना जाता है, और सदियों से लोग इसमें सिक्का फेंकने की परंपरा निभाते आ रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका संबंध केवल धार्मिक मान्यता से नहीं, बल्कि विज्ञान और इतिहास से भी है. संस्कृति विशेषज्ञ डॉ. विवेक त्रिपाठी बताते हैं कि सिक्का फेंकने की यह प्रथा हजारों वर्ष पुरानी है और इसके पीछे कई चौंकाने वाले कारण छिपे हैं.
गंगा में सिक्का फेंकने की असली वजह
1. प्राचीन काल में था स्वास्थ्य से जुड़ा वैज्ञानिक कारण- पुराने समय में चांदी और तांबे के सिक्के प्रचलन में थे, ये दोनों धातुएं पानी को शुद्ध रखने में मदद करती थीं. नदी में डाले गए सिक्के लंबे समय तक पानी में घुलते रहते थे और पानी के प्रदूषण को कम करने में सहायक होते थे, इसी वजह से गंगा का पानी वर्षों तक ताजा और सुरक्षित माना जाता था.
2. धार्मिक आस्था भी एक महत्वपूर्ण कारण- हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है, लोग मानते हैं कि सिक्का फेंककर वे अपनी मनोकामना को गंगा माता को सौंपते हैं, कई लोग इसे दान का प्रतीक भी मानते हैं, जो कि जलचर और प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाता है.
3. पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संदेश– धार्मिक मान्यताओं के पीछे एक छिपा संदेश यह भी था कि लोग नदी के पास आएं, नदी की साफ़-सफाई करें और प्रकृति के महत्व को समझें. सिक्का फेंकने के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण की ओर भी प्रेरित किया जाता था.
4. आधुनिक समय में सिक्कों के धातु बदलने से बढ़ी समस्या- आज इस्तेमाल होने वाले सिक्कों में निकेल और अन्य धातुएं होती हैं, जो जल को शुद्ध करने की बजाय उसे दूषित कर सकती हैं, इसी कारण गंगा में सिक्का फेंकने को आजकल प्रोत्साहित नहीं किया जाता. हमारी परंपरा के वैज्ञानिक कारण थे, लेकिन आज हमें इसे समझदारी से अपनाने की जरूरत है.
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