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पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इस दिन Tulsi तोड़ना क्यों है खतरे का संकेत?

Tulsi Plant Rules: भारत में तुलसी का पौधा सिर्फ एक सामान्य पौधा नहीं, बल्कि आस्था, शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, प्राचीन काल से ही इसे देवी तुलसी का रूप माना गया है. धार्मिक ग्रंथों और पुरानी मान्यताओं में तुलसी को अत्यंत पवित्र बताया गया है, जिसके कारण इसे तोड़ने और उपयोग करने के भी कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, इसी परंपरा के चलते कहा जाता है कि कुछ विशेष दिनों में तुलसी की पत्तियां तोड़ना अशुभ माना जाता है और इसे घर की ऊर्जा पर नकारात्मक असर डालने वाला माना जाता है.

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कौन-सा दिन माना जाता है मनाही वाला?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार रविवार, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या और सूर्य ग्रहण / चंद्र ग्रहण के दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए. खासतौर पर रविवार का दिन तुलसी को समर्पित माना गया है और इस दिन तुलसी विश्राम अवस्था में मानी जाती हैं.

क्या है इसके पीछे धार्मिक कारण?
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि रविवार के दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के ध्यान में रहती हैं, इस दिन पत्तियां तोड़ने को तुलसी मां का अनादर माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में अशुभ ऊर्जा बढ़ती है, परिवार में कलह और तनाव बढ़ सकता है और कई लोग इसे दुर्भाग्य का संकेत भी मानते हैं.

वैज्ञानिक कारण
कुछ जानकारों का मानना है कि पौधे सप्ताह के कुछ दिनों में प्राकृतिक रूप से कम ऊर्जा उत्पादन करते हैं. रविवार को सूर्य के तीव्र प्रभाव के कारण पत्तियों में जल की मात्रा कम रहती है, ऐसे में पत्तियां तोड़ने से पौधा जल्दी कमजोर हो सकता है, इसलिए वैज्ञानिक रूप से भी उस दिन पौधे को छेड़ना पौधे की सेहत के लिए ठीक नहीं माना जाता.

परंपरा आज भी क्यों निभाई जाती है?
हर घर में तुलसी का पौधा एक सकारात्मक और पवित्र ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, ऐसे में लोग अपनी परंपराओं को मानकर चलते हैं और मानते हैं कि कुछ नियमों को निभाने से घर की बरकत और शांति बनी रहती है. भले ही आधुनिक दौर में लोग वैज्ञानिक कारणों पर ज़्यादा विश्वास करते हों, पर तुलसी तोड़ने को लेकर पुराने नियम आज भी करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े हुए हैं.

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