पूजा में फूलों का उपयोग सदियों से चलता आ रहा है, लेकिन एक सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है. क्या भगवान को चढ़ाने से पहले फूलों को धोना चाहिए या नहीं? इस विषय पर ज्योतिष और धर्म शास्त्र दोनों की अपनी खास राय है, आइए जानते हैं पूरा सच.
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धर्म शास्त्र क्या कहते हैं?
धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान को चढ़ाने वाले फूल स्वच्छ, ताजे और सुगंधित होने चाहिए, लेकिन क्या उन्हें धोया जाए?
कई पुराणों और पूजा विधियों में यह उल्लेख है कि फूलों को नहीं धोना चाहिए, क्योंकि फूलों पर मौजूद प्राकृतिक सुगंध और पराग (pollen) पूजा में शुभ माना जाता है. धोने से फूलों की प्राकृतिक बनावट और सुगंध कम हो जाती है, जिससे पूजा की शुद्धता प्रभावित होती है. धर्म शास्त्रों की राय फूल धोना आवश्यक नहीं है, बल्कि उन्हें बिना धोए चढ़ाना ही शास्त्रीय रूप से उचित माना गया है.
ज्योतिष क्या कहता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फूलों की ऊर्जा और कंपन (vibrations) पूजा में विशेष भूमिका निभाते हैं. फूलों की प्राकृतिक स्थिति में उनमें सकारात्मक कंपन सबसे अधिक होते हैं, पानी से धोने पर वह ऊर्जा कम हो सकती है, इसके अलावा, कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि गीले फूल चढ़ाने से पूजा स्थल पर नमी और ऊर्जा बाधा पैदा हो सकती है. ज्योतिष की राय
फूलों को न धोकर सीधे चढ़ाना शुभ माना जाता है.
कब धोना ठीक है?
कुछ परिस्थितियों में फूल धोना स्वीकार्य है, यदि फूल पर धूल, कीड़ा या गंदगी लगी हो, अगर फूल बाजार या सड़क से खरीदे गए हों और साफ न दिख रहे हों. पूजा में बहुत अधिक शुद्धता का ध्यान रखते हुए हल्के पानी से धोकर तुरंत सुखाकर चढ़ाया जा सकता है.
पूजा में फूल देते समय ध्यान रखने योग्य बातें
हमेशा ताजे और खिले हुए फूल चढ़ाएं, मुरझाए या टूटे फूल चढ़ाना अशुभ माना जाता है, गंदे हाथों से फूल न छुएं, सुबह के समय तोड़े गए फूल सबसे शुभ माने जाते हैं, भगवान शिव को डोम (झूठे) फूल, और भगवान विष्णु को तुलसी के बिना फूल चढ़ाना निषेध माना गया है.
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