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Bihar News : इतनी भीड़, इतना जोश… क्या लखीसराय अब बिहार का फिल्म हब बनेगा?

लखीसराय फ़िल्म महोत्सव 2025 का दूसरा दिन जिले के सांस्कृतिक इतिहास में एक यादगार अध्याय की तरह दर्ज हुआ. 3 से 5 दिसंबर तक चल रहे इस तीन दिवसीय महोत्सव ने आज रचनात्मकता, संवाद, प्रयोगधर्मिता और सिनेमाई विविधता का ऐसा शानदार मिश्रण पेश किया, जिसने दर्शकों को कला के असली सार से रूबरू कराया. शहर के तीन प्रमुख केन्द्र—लखीसराय संग्रहालय, राज सिनेमा और महादेव टॉकीज—पूरे दिन उत्साह, तालियों और प्रशंसा की धुनों से गूंजते रहे.

Bihar News : लखीसराय में ऐसा फ़िल्म महोत्सव कभी नहीं देखा होगा…!

दूसरे दिन का आकर्षण फिल्मों की असाधारण विविधता रही. आज प्रदर्शित फिल्मों में कला, तकनीक, संवेदना और कथ्य का अनोखा संतुलन दिखाई दिया. वृत्तचित्र बहुरूपिया ने लोकसंस्कृति की परतों को उद्घाटित किया, वहीं अंधाधुन ने अपनी रोमांचकारी कहानी और तीखे ट्विस्ट के जरिए दर्शकों की सांसें थाम दीं. संस्कृत फीचर फ़िल्म भगवदाजुकम ने विरासत और प्राचीन नाट्यशास्त्र के अप्रतिम समन्वय को सामने रखा, जबकि मगही फ़िल्म स्वाहा ने लोकभाषा की मिठास और सामाजिक यथार्थ का साहसिक चित्रण किया.

लखीसराय में तीन दिवसीय बाल फिल्म महोत्सव का शुभारंभ, बच्चों में जगेगी सिनेमा और संस्कृति की रुचि

लघु फिल्मों क्रोसिंग बॉर्डर्स, जूयें और मानसून वॉक ने कम समय में बड़े संदेश देने की क्षमता का परिचय दिया. आवर्तन, इरादा और मट्टो की साइकिल जैसी फीचर फ़िल्मों ने मानव संघर्ष, सामाजिक विसंगतियों और जीवन के असली रंगों को गहराई से उकेरा. वहीं, दिन का सबसे खास प्रदर्शन रहा—लखीसराय म्यूज़ियम डिस्कवरी: ए ग्लिम्प्स ऑफ़ ग्लोरी. इस विशेष वृत्तचित्र ने बच्चों और युवाओं को जिले की ऐतिहासिक विरासत, पुरातन शिल्प और गौरवशाली संस्कृति से जोड़ने का अनूठा प्रयास किया.

Bihar News : दिव्यांग बच्चों की अद्भुत प्रतिभा… लखीसराय से दिल छू लेने वाले पल!

सिर्फ फिल्में ही नहीं, संवाद सत्र भी आज के दिन की पहचान बने. बच्चों और युवाओं ने विशेषज्ञों से फिल्म निर्माण के तकनीकी पक्षों, पटकथा की धड़कन, सिनेमाई भाषा, एडिटिंग की सूक्ष्मता और कैमरा एंगल्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सवाल पूछे. उनका जोश बताता था कि लखीसराय में नई रचनात्मक पीढ़ी जन्म ले रही है.

Bihar News : लखीसराय बना बिहार का नया सिनेमा हब — उपमुख्यमंत्री ने किया फिल्म महोत्सव का शुभारंभ!

लाल इंटरनेशनल स्कूल, नाथ पब्लिक स्कूल, डेफोडिल पब्लिक स्कूल, प्रज्ञा विद्या बिहार पब्लिक स्कूल, एमपीएस प्लस टू स्कूल सदायबीघा, पीबी मिडिल स्कूल सहित अनेक संस्थानों के बच्चों ने अपनी जिज्ञासा और सीखने की भूख से पूरे माहौल को जीवंत कर दिया.

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जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने अपनी प्रेरक बातों में बिहार की नई फिल्म नीति, लखीसराय के अद्भुत लोकेशंस और यहाँ के सांस्कृतिक मूल्य पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा—“यह महोत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जिले के लिए क्रिएटिव रनेसां (Creative Renaissance) की शुरुआत है.” जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी मृणाल रंजन ने स्थानीय कलाकारों के लिए उपलब्ध नए अवसरों और विभागीय योजनाओं की जानकारी दी.

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मुंबई सिनेयात्रा के प्रतिनिधि एवं फिल्मकार रविराज पटेल ने दर्शकों के प्रश्नों का विस्तार से उत्तर देते हुए कहा कि लखीसराय की फिल्म संस्कृति आगामी वर्षों में एक नया मानक स्थापित करने जा रही है. उन्होंने इस महोत्सव को स्थानीय प्रतिभाओं के लिए “सिनेमाई क्रांति का मंच” बताया.

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दूसरे दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने सिनेमा को मनोरंजन से आगे बढ़ाकर समाज, संस्कृति, शिक्षा और नवाचार का माध्यम साबित किया. फिल्मों की रोशनी, संवादों की गहराई और दर्शकों का अटूट उत्साह—इन सबने मिलकर दिन को truly memorable बना दिया.

कृष्णदेव प्रसाद यादव, लखीसराय.