भगवान शिव को उनके अनेक नामों और रूपों के लिए जाना जाता है, इनमें से “नीलकंठ” नाम बेहद प्रसिद्ध है. यह नाम सिर्फ एक उपनाम नहीं, बल्कि भगवान शिव के महान कार्य और समुद्र मंथन से जुड़ी एक रोचक पौराणिक घटना को दर्शाता है.
नीलकंठ का अर्थ
नीलकंठ का मतलब है—नीला गला, शिवजी के गले का नीला रंग उनकी एक अद्भुत घटना से जुड़ा हुआ है, जिसे जानकर हर भक्त चकित रह जाता है.
समुद्र मंथन और भगवान शिव
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवता और असुर संसार का अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे, तो समुद्र से कई भयंकर विष निकलते हैं, यह विष इतना शक्तिशाली था कि पूरा संसार तबाह हो सकता था. तब भगवान शिव ने इस विष को अपने गले में ही रोक लिया, ताकि पृथ्वी और सारे जीव सुरक्षित रहें, इस घटना के कारण उनके गले का रंग नीला पड़ गया और तभी से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा.
नीलकंठ के महत्व
यह नाम शिवजी की शक्ति, साहस और विश्व के प्रति उनकी चिंता का प्रतीक है, भक्त इसे याद करके शिवजी की महिमा और बलिदान को सम्मानित करते हैं, नीलकंठ रूप से शिवजी की पूजा करने से जीवन में साहस और संकटों का सामना करने की शक्ति मिलती है.
नीलकंठ की पूजा क्यों खास है?
नीलकंठ शिवजी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है, भय और नकारात्मकता दूर होती है, जीवन में साहस और शांति का अनुभव होता है. भगवान शिव का यह रूप न केवल शक्ति का प्रतीक है, बल्कि सहानुभूति, बलिदान और सुरक्षा का संदेश भी देता है.
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