knowledge Tips: हिन्दू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है, उनमें से एक प्रमुख और लोकप्रिय मंत्र है ‘कर्पूर गौरं’. यह मंत्र शिवजी को समर्पित है और विशेष रूप से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बोला जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसका असली अर्थ और महत्व क्या है.
कर्पूर गौरं मंत्र
पूरा मंत्र इस प्रकार है:
“कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि।”
मंत्र का अर्थ
कर्पूर गौरं – श्वेत कर्पूर (कपूर) की तरह शुद्ध और उज्ज्वल स्वरूप वाले.
करुणावतारं – करुणा और दया के अवतार.
संसारसारं – यह भगवान संसार का सार हैं.
भुजगेन्द्रहारम् – सर्पों का हार धारण करने वाले.
सदा वसन्तं हृदयारविंदे – हमारे हृदय के कमल में सदा निवास करने वाले.
भवं भवानी सहितं नमामि – भगवान शिव और माता पार्वती दोनों को प्रणाम.
सरल भाषा में: यह मंत्र भगवान शिव की शुद्धता, करुणा, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसे पढ़ने से व्यक्ति के मन में शांति, धैर्य और संतुलन आता है.
कर्पूर गौरं मंत्र बोलने के फायदे
मानसिक शांति – नियमित जाप से तनाव कम होता है.
नींद में सुधार – मंत्र की लय और उच्चारण मस्तिष्क को शांत करता है.
सकारात्मक ऊर्जा – घर और वातावरण में सकारात्मकता आती है.
आध्यात्मिक लाभ – व्यक्ति के अंदर आंतरिक शक्ति और समझ बढ़ती है.
कैसे करें जाप
शांत स्थान पर बैठकर मंत्र का उच्चारण करें, आँखें बंद करके धीरे-धीरे मंत्र दोहराएं, दिन में 5–10 मिनट का अभ्यास पर्याप्त है, चाहें तो दीपक जलाकर या हल्के ध्यान के साथ जाप और प्रभावी बनाया जा सकता है.
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