प्यार को अक्सर लोग “अंधा” कहते हैं, लेकिन क्या यह सच में सिर्फ एक कहावत है या इसके पीछे वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक वजहें हैं? मनोवैज्ञानिक और रिश्तों के विशेषज्ञों का कहना है कि प्यार की इस विशेषता को समझना बेहद रोचक और जरूरी है.
प्यार अंधा क्यों कहा जाता है?
जब हम किसी को प्यार करने लगते हैं, तो हमारा दिमाग अक्सर केवल उस व्यक्ति के अच्छे गुणों पर फोकस करता है और कमियों को नजरअंदाज कर देता है. यह “स्लीकिंग इफ़ेक्ट” के कारण होता है—हमारा मस्तिष्क उन चीजों को फिल्टर करता है जो रिश्ते में संभावित तनाव पैदा कर सकती हैं, इसीलिए लोग कहते हैं कि प्यार अंधा होता है, क्योंकि यह हमें अक्सर तर्क और वास्तविकता से कुछ दूरी पर ले जाता है.
मनोवैज्ञानिक नजरिया
डॉ. रीता शर्मा, रिलेशनशिप एक्सपर्ट, बताती हैं कि प्यार में होने वाले “सिरियस बायस” के कारण हम किसी पार्टनर की कमियों को अनदेखा कर देते हैं, यह स्वाभाविक है, क्योंकि प्रेम में हमारा डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन लेवल बढ़ जाता है, जिससे हम खुश और उत्साहित महसूस करते हैं.
प्यार और निर्णय
प्यार में निर्णय अक्सर तर्क से नहीं बल्कि भावना से लिए जाते हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह जरूरी है कि प्रेम में रियलिटी चेक और संवाद बनाए रखें, सही संतुलन के साथ प्यार आपको जीवन में खुशहाल और मजबूत रिश्तों का अनुभव दे सकता है.
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