नालंदा जिले के करायपरसुराय अंचल के सांध पंचायत में तैनात हल्का कर्मचारी संजय कुमार को निगरानी विभाग ने 4,500 रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया. यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के रूप में सामने आई और सरकारी दफ्तरों में हड़कंप मच गया.
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सूत्रों के अनुसार, जमीन से जुड़े एक काम के एवज में संजय कुमार ने खुलेआम घूस मांग रही थी. पीड़ित ने हिम्मत दिखाते हुए निगरानी विभाग से शिकायत की. विभाग ने तुरंत एक सुनियोजित योजना बनाई. जैसे ही आरोपी ने पैसे पकड़े, निगरानी टीम ने उसे मौके पर ही धर दबोचा.
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इस कार्रवाई के बाद पूरे करायपरसुराय में खौफ का माहौल बना. सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले बाबुओं में डर का माहौल है और आम जनता ने राहत की सांस ली. लोग कह रहे हैं कि ऐसे रिश्वतखोरों पर रोज़ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर हों.
सवाल यह है कि क्या इस तरह की कार्रवाई सिर्फ एक लोकल कार्रवाई है या फिर यह भ्रष्ट सिस्टम की रीढ़ को तोड़ने में कारगर साबित होगी. लोगों का मानना है कि लगातार निगरानी और सख्त कार्रवाई से ही सरकारी बाबुओं में भय पैदा किया जा सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए ऐसे मामलों को उजागर करना जरूरी है. नालंदा का यह मामला एक उदाहरण बन सकता है कि यदि निगरानी और शिकायत सही समय पर होती है, तो रिश्वतखोरों को सजा दी जा सकती है.
आम जनता अब इस घटना को लेकर जागरूक है और उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता बढ़ेगी. निगरानी विभाग की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि कानून और निगरानी के सही इस्तेमाल से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है.


























