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मायोपिया क्या है? Eyes को ऐसे करती है कमजोर

मायोपिया या नजदीक की नजर कमजोर होना आज के समय में सबसे तेजी से बढ़ने वाली आंखों की समस्याओं में से एक बन चुका है. खासतौर पर बच्चों और युवाओं में इसकी दर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है, आंखों के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह समस्या जीवनभर चश्मे पर निर्भरता बढ़ा देती है.

क्या है मायोपिया?
मायोपिया एक ऐसी आंखों की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को दूर की वस्तुएं धुंधली दिखने लगती हैं, जबकि नजदीक की चीजें ठीक दिखाई देती हैं. यह तब होता है जब आंख का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है या कॉर्निया अधिक मुड़ी हुई होती है, इससे प्रकाश रेटिना पर न पड़कर उसके आगे फोकस हो जाता है.

कैसे करती है आंखों को कमजोर?
मायोपिया धीरे-धीरे आंखों पर दबाव बढ़ाती है और दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकती है, यह आंखों को इन तरीकों से कमजोर बनाती है. दूर की देखने की क्षमता घटती है, सिरदर्द और आंखों में थकान होने लगती है, अत्यधिक मोबाइल और स्क्रीन टाइम इसे तेजी से बढ़ाते हैं, लंबे समय में रेटिना संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, कुछ मामलों में, हाई मायोपिया रेटिना डिटैचमेंट जैसी गंभीर स्थितियों का कारण भी बन सकता है.

मायोपिया बढ़ने की मुख्य वजहें
डॉक्टर्स मानते हैं कि जीवनशैली इसका सबसे बड़ा कारण है, लंबे समय तक मोबाइल, टीवी, लैपटॉप पर स्क्रीन देखना
कम धूप में समय बिताना, लगातार नजदीक देखने वाले काम जेनेटिक कारण जो बच्चे रोज़ 1–2 घंटे बाहर धूप में खेलते हैं, उनमें मायोपिया की संभावना काफी कम होती है.

क्या मायोपिया का इलाज संभव है?
मायोपिया पूरी तरह ठीक नहीं होता, लेकिन इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है, इसके लिए डॉक्टर सलाह देते हैं नियमित आंखों की जांच, स्क्रीन टाइम कम करना हर 20 मिनट में 20 सेकंड दूर देखकर आंखों को आराम देना (20-20-20 Rule)
चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का सही नंबर कुछ मामलों में ऑर्थो-K लेंस या LASIK जैसी प्रक्रियाएं.

अन्य टिप्स
नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों और युवाओं में बढ़ता स्क्रीन टाइम मायोपिया की बड़ी वजह है, वे सलाह देते हैं कि बच्चों को रोज कम से कम 2 घंटे आउटडोर एक्टिविटी करानी चाहिए, मोबाइल 40 सेमी दूरी पर रखें, सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन बंद कर दें.

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