राष्ट्रीय कानून दिवस (नेशनल लॉ डे) को अब संविधान दिवस के तौर पर जाना जाता है, भारत में हर वर्ष 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस (National Law Day) मनाया जाता है. यह दिन देश की न्याय व्यवस्था, विधिक संस्थाओं और संविधान निर्माताओं के योगदान को याद करने का महत्वपूर्ण अवसर है. हालांकि बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि इसी दिन भारत संविधान दिवस भी मनाता है, लेकिन कानून दिवस की अपनी अलग ऐतिहासिक पहचान और उद्देश्य हैं.
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय कानून दिवस?
26 नवंबर 1949 वह ऐतिहासिक दिन है, जब भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया था, इसी वजह से इस तारीख को देश की विधिक प्रणाली के लिए एक अहम पड़ाव माना जाता है. 1979 में, भारतीय बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस घोषित किया, इसका उद्देश्य था आम जनता में कानून के प्रति जागरूकता बढ़ाना, वकीलों और न्यायपालिका के योगदान को सम्मान देना और नागरिकों को यह समझाना कि कानून समाज को व्यवस्थित रखने की मूल रीढ़ है.
कानून दिवस और संविधान दिवस: क्या है अंतर?
2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया, इसके बाद यह दिन दो रूपों में जाना जाने लगा Constitution Day (संविधान दिवस), National Law Day (राष्ट्रीय कानून दिवस) संविधान दिवस का उद्देश्य नागरिकों में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, जबकि कानून दिवस का उद्देश्य न्याय व्यवस्था और कानून के महत्व को समझाना है. यानी दोनों का लक्ष्य अलग-अलग है, लेकिन तारीख एक है. क्योंकि दोनों का संबंध संविधान अपनाने के उसी ऐतिहासिक क्षण से है.
कानून दिवस क्यों है महत्वपूर्ण?
राष्ट्रीय कानून दिवस हमें याद दिलाता है कि कानून सिर्फ किताबों का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का आधार है, नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य कानून द्वारा ही सुरक्षित होते हैं. न्यायपालिका और विधिक संस्थाओं की भूमिका एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए बेहद अहम है. यह दिन नए कानूनों की समीक्षा, कानूनी जागरूकता कार्यक्रम, और समाज में न्याय के प्रति विश्वास को मजबूत करने का भी अवसर है.
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