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Vrindavan में धूम: ठाकुर बांके बिहारी का प्राकट्योत्सव शुरू

वृंदावन में आज भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला, मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के अवसर पर ठाकुर श्री बांके बिहारी महाराज का प्राकट्योत्सव (जन्म दिवस) मनाया गया. जिसे ब्रजवासी ‘बिहार पंचमी’ के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, सुबह से ही धर्म नगरी में उत्सव का माहौल बना हुआ है.

दिव्य महाभिषेक से हुई शुरुआत
उत्सव की शुरुआत प्राकट्य स्थली निधिवन राज मंदिर परिसर में हुई, सुबह 4 बजे पंचामृत—दूध, दही, घी, शहद और बूरा—से ठाकुर जी का दिव्य महाभिषेक किया गया. इस मंगलकारी अभिषेक के दौरान पूरा परिसर “राधे-शाम” के जयकारों से गूंज उठा.

स्वामी हरिदास जी की भव्य शोभायात्रा
उत्सव का मुख्य आकर्षण स्वामी हरिदास जी महाराज की शोभायात्रा रही. स्वामी जी अपने ‘लड़ैते’ ठाकुर बांके बिहारी जी को जन्मोत्सव की बधाई देने के लिए चांदी के रथ पर विराजमान होकर निकले.
रूट: निधिवन → रंगजी मंदिर → चुंगी चौराहा → अनाज मंडी → बनखंडी दाऊजी तिराहा → बांके बिहारी मंदिर, रास्ते भर लाखों भक्त कीर्तन, नृत्य और बधाई गीत गाते हुए शोभायात्रा में शामिल रहे, पूरा वातावरण भक्ति में डूबा रहा.

मंदिरों की भव्य सजावट
निधिवन राज मंदिर और बांके बिहारी मंदिर को देश-विदेश से मंगाए गए विशेष फूलों, झालरों और दीपकों से दुल्हन की तरह सजाया गया है, पूरा परिसर पीतवर्ण की आभा से झिलमिला रहा है, जो बिहारी जी के प्राकट्य दिवस की परंपरा को दर्शाता है.

कल Vrindavan में बड़ी धूम, ठाकुर जी के महाभिषेक की तैयारियां पूरी

लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब
भारत और विदेशों से लाखों भक्त वृंदावन पहुंचे हैं, भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्थाओं के विशेष इंतजाम किए गए हैं. स्वामी हरिदास जी के आगमन के बाद ही ठाकुर जी को राजभोग प्रसादी अर्पित की गई, जो गुरु-शिष्य और भगवान-भक्त की दिव्य परंपरा को जीवंत बनाती है. वृंदावन की गलियों में आज भक्ति, प्रेम और उत्सव का अद्भुत नजारा देखने को मिला, ठाकुर बांके बिहारी जी का प्राकट्योत्सव भक्ति की उस लीला का स्मरण कराता है, जिसने ब्रज को हमेशा के लिए आध्यात्मिक प्रेम से सराबोर कर दिया.

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