आज की तेज रफ्तार जिंदगी में माता-पिता और बच्चों के बीच बातचीत कम होती जा रही है, बच्चों के मन में बहुत कुछ होता है. लेकिन वे उसे खुलकर कह नहीं पाते. इसका कारण अक्सर गलत कम्युनिकेशन स्टाइल, दबाव या डर होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर माता-पिता सिर्फ 3 सरल आदतें अपना लें, तो बच्चा न सिर्फ खुलकर बात करेगा बल्कि रिश्ता भी पहले से ज़्यादा मजबूत हो जाएगा.
ये हैं 3 बात
बच्चे की बात बीच में न काटें — उसे “पूरी तरह सुनें”
अधिकतर माता-पिता बच्चे की बात को बीच में रोककर अपनी राय देने लगते हैं, लेकिन ऐसा करने से बच्चे को लगता है कि उसकी बातें महत्वहीन हैं. जब भी बच्चा कुछ कहे, आंखों में देखकर सुनें तुरंत सजा, डांट या सलाह न दें, उसे अपनी बात खत्म करने का पूरा मौका दें, यह भरोसा पैदा करता है और बच्चा खुलकर भावनाएं साझा करने लगता है.
बच्चे को जज न करें — उसकी भावनाओं को स्वीकार करें
बच्चे कुछ गलत बोलें या छोटी बात बताएं, तो माता-पिता अक्सर ताना दे देते हैं. “ये भी कोई बात हुई?” “तुम बेवजह रोते हो!” ऐसा रवैया बच्चे को अंदर ही अंदर बंद कर देता है, इसके बजाय कहें “मैं समझ रहा/रही हूँ कि तुम्हें कैसा लग रहा है.” “यह बात बताने की हिम्मत रखने के लिए तुमने अच्छा किया.” जब बच्चा महसूस करता है कि उसे जज नहीं किया जाएगा, वह सब कुछ share करने लगता है.
रोज 10 मिनट “नो-फोन टाइम” दें — सिर्फ बच्चे के लिए
सिर्फ 10 मिनट, बिना मोबाइल, बिना टीवी, बिना किसी distraction के आप और आपका बच्चा, इस दौरान वह अपने दिन की बातें, स्कूल की कहानियां, डर या खुशियां बेहद आसानी से बता देता है, विशेषज्ञों के अनुसार, डेली 10 मिनट का अटेंशन बच्चे के मन को इतना सुरक्षित बनाता है कि वह हर छोटी-बड़ी बात अपने माता-पिता से साझा करने लगता है.
नतीजा
अगर ये 3 आदतें नियमित रूप से फॉलो करें तो, बच्चा भावनाएं दबाकर रखने के बजाय खुलकर बात करेगा, माता-पिता और बच्चे का रिश्ता मजबूत होगा. समस्या, डर और तनाव जल्दी सामने आएंगे गलत संगत या छुपी समस्याओं का पता समय पर चल जाएगा.
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