लातेहार : प्राकृतिक सौंदर्य, खनिज संपदा और जनजातीय संस्कृति का संगम
झारखंड के मध्य-पश्चिम भाग में स्थित लातेहार जिला घने जंगलों, खनिज संपदा, सुंदर जलप्रपातों और समृद्ध जनजातीय संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला जहां एक ओर नेटारहाट की वादियाँ, लोध जलप्रपात और विविध जैवविविधता से भरपूर है, वहीं दूसरी ओर यहाँ खनन आधारित उद्योग, कृषि और पर्यटन विकास की भी अपार संभावनाएँ हैं।
22 अप्रैल 2001 को पलामू जिला से विभाजित होकर यह एक नया जिला बना।
यह इलाका लंबे समय तक छोटानागपुर राजा के अधीन रहा।
स्थिति:
स्थान: झारखंड के मध्य-पश्चिम भाग में
प्रमंडल: पलामू प्रमंडल (मुख्यालय — मेदिनीनगर/डालटनगंज)
जिला मुख्यालय: लातेहार
स्थापना: 22 अप्रैल 2001
सीमाएँ:
उत्तर: पलामू जिला
दक्षिण: रांची जिला
पूर्व: लोहरदगा, गुमला
पश्चिम: गढ़वा जिला
भौगोलिक व जनसांख्यिकीय जानकारी:
क्षेत्रफल: ~4291 वर्ग किमी
जनसंख्या (2011): 7,26,978
पुरुष: ~3,71,926
महिलाएँ: ~3,55,052
जनसंख्या घनत्व: ~199 व्यक्ति/वर्ग किमी
लिंगानुपात: 954
साक्षरता दर: ~59%
पुरुष: ~70%
महिलाएँ: ~48%
राजनीतिक संरचना:
लोकसभा क्षेत्र: पलामू (SC आरक्षित)
विधानसभा क्षेत्र:
- लातेहार
- मनिका (ST आरक्षित)
जातीय अनुपात (अनुमानित):
ST (जनजातीय): ~45% (मुख्यतः उराँव, कोरवा, मुंडा, बिरजिया, असुर)
SC: ~12%
OBC: ~28%
अन्य: ~15% (सवर्ण, मुस्लिम, अन्य समुदाय)
प्रमुख भाषाएँ:
हिंदी
नागपुरी
सादरी
उराँव
संथाली (कुछ क्षेत्रों में)
कोरवा भाषा
स्थानीय बोलियाँ
प्रमुख फसलें:
धान
मक्का
गेहूँ
चना
अरहर
सरसों
सब्जियाँ
जंगली फल और औषधीय पौधे
प्रमुख नदियाँ:
कोयल नदी
अमानत नदी
नरचू नदी
छोटी सहायक नदियाँ व नाले
पर्यटन स्थल व धार्मिक केंद्र:
नेटारहाट (झारखंड की ‘छोटी नगरी’)
लोध जलप्रपात (झारखंड का सबसे ऊँचा जलप्रपात)
सुग्गा बांध
कोयल नदी घाटी
महुआडांड़ घाटी
अन्य जलप्रपात, प्राकृतिक स्थल, वन्य जीवन क्षेत्र
औद्योगिक व विकास परियोजनाएँ:
कोयला खनन परियोजनाएँ (सीसीएल के अंतर्गत)
खनिज आधारित उद्योग (बॉक्साइट, डोलोमाइट आदि)
लघु व कुटीर उद्योग
पत्थर क्रशर उद्योग
पर्यटन आधारित विकास
वनोपज व हर्बल उत्पादों का संभावित उद्योग
कृषि आधारित उद्योग
शिक्षा:
लातेहार कॉलेज
महिला कॉलेज
नवोदय विद्यालय
मॉडल स्कूल
अन्य CBSE / झारखंड बोर्ड के विद्यालय
संस्कृति और परंपराएँ:
प्रमुख लोक नृत्य: करमा, झूमर, सरहुल
प्रमुख पर्व: सरहुल, करमा, होली, दीपावली, ईद, क्रिसमस
पारंपरिक आदिवासी मेले
आदिवासी लोककथाएँ व गीत
वनोपज आधारित रीति-रिवाज
विशेषताएँ:
नेटारहाट, लोध जलप्रपात जैसे विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल
घने जंगल, जैव विविधता से संपन्न
खनिज संपदा
वन्य जीवों की विविधता
जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर
पर्यटन आधारित विकास की अपार संभावनाएँ
कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था
पलामू प्रमंडल का प्रमुख उभरता जिला
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