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Bihar : अररिया में 6 साल पुराना पुल धंसा, 3.80 करोड़ की लागत से बना था, 20 गांवों का संपर्क टूटा!

अररिया जिले के फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब प्रमाण नदी पर बने कौआचार घाट पुल का एक पाया अचानक धंस गया. यह पुल महज छह साल पहले 3.80 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, जिसकी लंबाई करीब 129 मीटर है. अचानक धंसने से पुल की पूरी संरचना क्षतिग्रस्त हो गई और आवागमन पूरी तरह ठप हो गया.

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यह पुल अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह के पैतृक गांव कौआचार को जोड़ता है. पुल धंसने के बाद इलाके के 20 से अधिक गांवों का जिला मुख्यालय अररिया और प्रखंड मुख्यालय फारबिसगंज से संपर्क कट गया है. ग्रामीणों ने बताया कि दोपहर में अचानक पुल के झुकने जैसी आवाज सुनाई दी. जब लोग पहुंचे तो देखा कि तीसरा पाया करीब 3-4 फीट नीचे धंस चुका था. प्रशासन ने तत्काल दोनों छोर पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी, हालांकि कुछ लोग अब भी जोखिम उठाकर पैदल या बाइक से पुल पार कर रहे हैं.

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स्थानीय ग्रामीणों ने पुल निर्माण में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि निर्माण के दौरान पायों की बुनियाद कमजोर रखी गई थी, जिससे धीरे-धीरे नीचे धंसाव होता रहा. किसान विश्वनाथ यादव ने कहा कि अब उनकी 50 बीघा धान की फसल पुल के उस पार फंसी है और कटाई के समय फसल बचाना मुश्किल होगा. उन्होंने ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की.

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ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि पुल धंसने की सूचना 30 अक्टूबर को ही विभाग को मिल गई थी. इस संबंध में डीएम और एसपी को अवगत करा दिया गया था. उन्होंने कहा कि ठेकेदार की पांच साल की गारंटी अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन पुल की गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई तय है.

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ग्रामीणों ने बताया कि अब उन्हें जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 10 किमी लंबा वैकल्पिक रास्ता अपनाना पड़ रहा है. कई गांवों में फसल कटाई, स्वास्थ्य सेवाओं और दैनिक जरूरतों पर असर पड़ा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल निर्माण के समय घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था, जिससे इतनी जल्दी संरचना कमजोर पड़ गई.

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यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले जून 2024 में सिकटी विधानसभा क्षेत्र में बकरा नदी पर बन रहे 12 करोड़ रुपये के पुल का एक हिस्सा धंस गया था. दोनों ही पुलों का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया द्वारा कराया गया था. उस समय भी दो इंजीनियरों को निलंबित किया गया था.

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पुल धंसने की यह घटना विधानसभा चुनाव से पहले सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में लापरवाही का प्रतीक बता रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि इस बार वोट के समय जवाब मिलेगा. पिछले पांच वर्षों में बिहार में 10 से अधिक पुलों के धंसने की घटनाएं हो चुकी हैं. विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी परीक्षण की अनदेखी, नदी तट की मजबूती में कमी और निर्माण के बाद निगरानी न होना ही इन हादसों की सबसे बड़ी वजह है.