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Kartik Month का अन्नकूट महोत्सव श्रद्धा, भक्ति और स्वाद का संगम!

मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि गोवर्धन की पावन तलहटी आज अन्नकूट महोत्सव के दिव्य उल्लास से सराबोर हो उठी. कार्तिक मास की इस पावन तिथि पर आयोजित इस उत्सव में गिरिराज महाराज को छप्पन भोग अर्पित किया गया, भोग के दर्शन के लिए हजारों भक्त उमड़ पड़े, जिन्होंने इस अद्भुत दृश्य को देखकर अपने आप को धन्य महसूस किया.

गिरिराज महाराज का दिव्य श्रृंगार और भोग
गिरिराज महाराज के विग्रह का विधिवत अभिषेक कर आचार्य गोस्वामी घनश्याम बावा महाराज ने अन्नकूट का भोग समर्पित किया. महोत्सव के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए छप्पन भोग में लड्डू, मोहनथाल, मठरी, महसूक, गुलाब जामुन, रबड़ी और दूध से बने सात्विक पकवान शामिल रहे, स्वादिष्ट व्यंजनों की सुगंध और भक्तिमय संगीत से पूरा परिसर “जय गिरिराज महाराज की!” के जयकारों से गूंज उठा.

भक्तों का उमड़ा सैलाब
अन्नकूट महोत्सव के इस पावन अवसर पर गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित देशभर से सैकड़ों वैष्णव भक्त गोवर्धन पहुंचे, भक्तों ने गिरिराज महाराज के दिव्य श्रृंगार और भोग दर्शन का आनंद लिया और प्रसाद प्राप्त कर स्वयं को सौभाग्यशाली माना.

अन्नकूट का आध्यात्मिक संदेश
अन्नकूट महोत्सव, गोवर्धन पूजा की परंपरा का अभिन्न अंग है, यह पर्व उस दिव्य प्रसंग की स्मृति में मनाया जाता है जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का अहंकार तोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ की थी. यह पर्व प्रकृति, अन्न और श्रम के प्रति कृतज्ञता का संदेश देता है, जिसे ब्रजवासी आज भी अपार श्रद्धा और उल्लास के साथ निभाते हैं. इस महोत्सव ने न केवल भक्ति की गंगा बहाई, बल्कि समाज को यह भी संदेश दिया कि जब तक अन्न और प्रकृति की पूजा होती रहेगी, जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहेगी.

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