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धान की नीलामी सड़कों पर प्रशासन मौन,Farmers है परेशान!

मथुरा: सरकार ने किसानों की उपज की नीलामी के लिए मंडी परिसर में चबूतरे और व्यवस्थित ढांचा तैयार किया था. दुकानों के बीच गैलरी छोड़ी गईं ताकि आवागमन सुचारू रहे, किसानों की सुविधा के लिए शौचालय तक बनाए गए, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और अतिक्रमणकारियों को मिली खुली छूट ने पूरी व्यवस्था चरमराकर रख दी है. आज हालत यह है कि किसानों की फसल अब खुले आसमान के नीचे सड़कों पर नीलाम की जा रही है, जिससे मंडी परिसर में जाम की स्थिति बन रही है और सरकार को भी राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

तीन साल पहले चला था अतिक्रमण हटाओ अभियान
करीब तीन वर्ष पूर्व मंडी समिति के प्रभारी अधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट के निर्देश पर परिसर से अतिक्रमण हटाने का बड़ा अभियान चलाया गया था, इस दौरान मंडी के सेक्टर प्रभारी निरीक्षकों ने सब्जी और अनाज मंडी में 251 अतिक्रमणों की सूची तैयार की थी. इन सभी कब्जों को ध्वस्त कराया गया और मंडी परिसर को व्यवस्थित किया गया. व्यापारियों और किसानों ने राहत की सांस ली, लेकिन यह स्थिति अधिक समय तक नहीं टिक सकी.

फिर लौट आया अतिक्रमण — 500 से अधिक कब्जे
अधिकारियों की मिलीभगत और उदासीनता के चलते अब वही अतिक्रमण फिर से लौट आया है. वर्तमान में सब्जी और अनाज मंडी में 500 से अधिक अतिक्रमण हो चुके हैं, इन कब्जों के कारण मंडी संचालन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. धान की नीलामी सड़क पर होने से वाहनों की आवाजाही रुक जाती है और कई बार मंडी में भयंकर जाम लग जाता है. इससे न केवल लोडिंग–अनलोडिंग कार्य बाधित होता है, बल्कि मंडी को बंद करने की नौबत भी आ जाती है, जिससे सरकार को प्रतिदिन हजारों रुपये का राजस्व नुकसान उठाना पड़ता है.

किसानों ने तोड़ दिए मंडी गेट
जाम की स्थिति से परेशान होकर मंडी प्रशासन ने किसानों के प्रवेश के लिए रात्रि 2 बजे से सुबह 11 बजे तक का समय निर्धारित किया और बाकी समय गेट बंद कर दिए, लेकिन जब अपनी उपज बेचने आए किसानों को मंडी के अंदर प्रवेश नहीं मिला तो आक्रोशित किसानों ने दोनों मुख्य गेट तोड़ दिए, इस दौरान मंडी परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और पुलिस बल को बुलाना पड़ा.

अतिक्रमणकारियों पर मेहरबान मंडी प्रशासन, किसानों पर सख्ती
किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन अतिक्रमणकारियों के आगे पूरी तरह असहाय नजर आता है, जबकि उन्हीं किसानों को रोकने के लिए पुलिस और पीएसी बल की मांग की जा रही है, यह स्थिति चिंताजनक है — एक ओर जहां अतिक्रमण पर कार्रवाई ठप है, वहीं दूसरी ओर किसानों की उपज खुले में नीलाम की जा रही है.

मथुरा बन रहा है नजीर
मथुरा की यह स्थिति अब पूरे प्रदेश के लिए एक नजीर बनती जा रही है, जहां किसानों को अपनी मेहनत की उपज बेचने के लिए भी प्रशासनिक अव्यवस्था और बल प्रयोग का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की किसान हितैषी योजनाएं जमीन पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जब तक मंडी परिसर से अतिक्रमण पूरी तरह नहीं हटाया जाता, तब तक न किसान को राहत मिलेगी और न ही राजस्व बढ़ेगा.

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