भारतीय संस्कृति में हर घटना को किसी न किसी संकेत या शकुन-अपशकुन से जोड़ा गया है. अक्सर लोग कहते हैं कि अगर घर से निकलते वक्त अर्थी दिख जाए, तो दिन खराब होता है या काम बिगड़ जाता है, लेकिन क्या सच में ऐसा है? आइए जानते हैं शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार इसका असली अर्थ.
अर्थी दिखना हमेशा अपशकुन नहीं होता
बहुत से लोग मानते हैं कि अर्थी या शव यात्रा देखना अशुभ है, परंतु गरुड़ पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार यह मान्यता पूरी तरह गलत नहीं लेकिन अधूरी है. शास्त्र कहते हैं कि अर्थी दिखना “जीवन और कर्मों के पुनर्जागरण” का प्रतीक है, यह इस बात का संकेत भी हो सकता है कि किसी पुराने कार्य का अंत होकर नई शुरुआत का समय आने वाला है.
क्यों माना जाता है इसे शुभ संकेत?
ज्योतिषाचार्यों का मत है कि मृत्यु जीवन का अंतिम नहीं, बल्कि नए चक्र की शुरुआत है, इसलिए यदि घर से निकलते वक्त अर्थी दिख जाए, तो यह संकेत देता है कि: कोई पुराना अड़चन भरा कार्य समाप्त होने वाला है, जीवन में नया अवसर या परिवर्तन आने वाला है और अगर मन शांत रखकर आगे बढ़ें, तो सब कुछ मंगलमय हो सकता है.
अगर अर्थी दिख जाए तो करें ये उपाय
भगवान का स्मरण करें — “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ श्री गणेशाय नमः” का जाप करें.
दाहिने हाथ से माथे को स्पर्श करें — यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
एक कदम पीछे हटकर पुनः शुरुआत करें — प्रतीकात्मक रूप से यह अपशकुन को टालता है.
थोड़ा जल पीकर निकलें — जल को जीवन का प्रतीक माना गया है, यह शुभ ऊर्जा देता है.
अपने इष्टदेव से मन ही मन प्रार्थना करें — “हे ईश्वर, सब मंगल करें”.

शास्त्रों में संकेत का महत्व
“शकुन शास्त्र” के अनुसार, हर दृश्य एक ऊर्जा-संदेश लेकर आता है, अगर अर्थी दिखने पर मन में भय नहीं, बल्कि शांति का भाव हो, तो यह संकेत है कि ईश्वर आपकी पुरानी कठिनाइयों का अंत कर रहे हैं.
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